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पुद्गल-कोश
मिथ्यात्वादि कारणों से बंध को प्राप्त होने वाले परमाणु अभव्य-राशि से अनंतगुणे और सिद्ध-राशि के अनंतवें भाग प्रमाण हो पाये जाते हैं । इसके कर्म परमाणुओं को कर्मों की स्थिति से गुणा करने पर समस्त कर्म परमाणु सब जीवों से अनंत गुणे नहीं होते हैं ।
एक-एक स्पर्धक में भी अभव्य राशि से अनंत गुणी और सिद्ध राशि के अनंतवें भाग प्रमाण वर्गणाएँ होती है । वे वर्गणाएँ संख्या में भी सभी स्पधंकों में समान होती है, क्योंकि ऐसा स्वाभाविक है ।
·५ वर्गणा - स्पर्धक अल्पबहुत्व अनुभाग स्थान- अल्पबहुत्व
जहणफद्द वग्गणाओ थोवाओ । अजहण्णेसु फट्एसु वग्गणाओ अतगुणाओ । सव्वे फट्एसु वग्गणाओ विसेसाहियाओ x x x - कसायपा० विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका पृ० ३४९
जघन्य स्पर्धक में थोड़ी वर्गणाएँ हैं । उनसे अजघन्य स्पर्धकों में अनंतगुणी वर्गणाएँ है । उनसे सब स्पर्धकों में विशेष अधिक वर्गणाएँ हैं ।
६ अल्पबहुत्व स्पर्धक
जहणए ट्ठाणे अभवसिद्धिएहि अनंतगुणसिद्धाणमणं तिमभागमेत्ताणि फद्दयाणि x x x |
सव्वत्थोवं जहण्णफद्दयं, एगसंखत्तादो। अजहण्णफद्दयाणि अनंतगुणाणि । कोगुणगारो ? अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो सिद्धाणमणतिमभागमेत्तो । सव्वाणि फट्ट्याणि विसेसाहियाणि एकरूवेण । अधवा अविभागपडिच्छेदे अस्सिदृण उच्चदे- जहण्णफद्दयं थोवं । उक्कस्सफद्दयमतगुणं । को गुणगारो ? सव्वजीवेहि अनंतगुणो अजहण्णअणुवकस्सफयाणि अनंतगुणाणि । को गुणगारो| अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो सिद्धाणमणंतिमभागमेत्तो । अणुक्कस्सफद्दयाणि विसेसाहियाणि अजहरणफद्दयाणिविसे साहियाणि । सव्वाणि फद्दयाणि विसेसाहियाणि ।
- कसायपा० विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका पृ० ३४९-५०
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