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पुद्गल-कोश तेयासरीरदव्ववग्गणाए ओगाहणा असंखेज्जगुणा। आहारसरीरदव्यवग्गणाए ओगाहणा असंखेज्जगुणा । वेउब्वियसरीरदव्ववग्गणाए ओगाहणा असखेज्जगुणा। ओरालियसरीरदब्धवग्गणाए ओगाहणा असंखेज्जगुणा त्ति अप्पाबहुअवयणादो।
-षट० खण्ड ५ । भा ५ । सू ५९ । टीका । पु १३ । पृ० ३१२, ३१३ कार्मण शरीर द्रव्यवर्गणा की अवगाहना सबसे स्तोक होती है। उससे मनोद्रव्यवर्गणा की अवगाहना असख्यातगुणी होती है। उससे भाषा द्रव्यवर्गणा की अवगाहना असंख्यातगुणी होती है। उससे तैजस-शरीर-द्रव्यवर्गणा की अवगाहना असंख्यातगुणी होती है। उससे आहारक शरीर द्रव्यवर्गणा की अवगाहना असंख्यात गुणी होती है। उससे वैक्रियिक शरीर द्रव्य वर्गणा को अवगाहना असंख्यात गुणी होती है। उससे औदारिक शरीर द्रव्यवर्गणा की अवगाहना असंख्यात गुणी होती है। .१८ २ वर्गणा को अल्पबहुत्व
सम्वत्थोवा जहणियाए वग्गणाए अविभागपडिच्छेदा! उक्कस्सियाए वग्गणाए अविभागपडिच्छेदा अणंतगुणा। को गुणगारो? सव्वजोवेहि अणतगुणो। कुदो? जहण्णबंधढाणप्पहुडि उरि असखेज्ज० लोगमेत्तछट्ठाणेसु गदेसु सुहुमइ दिय जहण्णट्ठाणचरिमवग्गणाए समुप्पत्तीदो। अजहण्णअणुक्कस्सियासु वग्गणासु अविभागपडिच्छेदा अणंतगुणा। कोगुणगारो? अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमणंतभागमेत्तो। अणुक्कस्सियासु वग्गणासु अविभागपडिक्छेदा विसेसाहिया। अजहणियासु वग्गणासु अविभागपडिच्छेदा विसेसाहिया। केत्तियमेत्तण ? जहण्णवग्गणाविभागपडिच्छेदेहि ऊणउक्कस्सवग्गणाविभागपडिच्छेदमेत्तण। सव्वासु वग्गणासु अविभागपडिच्छेवा विसेसाहिया। केत्तियमेत्तेण? जहण्णवग्गणाविभागपडिच्छेदमेत्तेण।
-कसायपा० विह ४ । भा ५ । गा २२ । टीका पृ० ३४७ जघन्य वर्गणा में, अविभागप्रतिच्छेद सबसे थोड़े हैं। उनसे उत्कृष्ट वर्गणा में अविभाग प्रतिच्छेद अनंत गुणे हैं। गुणकार का प्रमाण- सब जीवों से अनंत गुणा हैं, क्योंकि जघन्य बन्धस्थान से लेकर ऊपर असंख्यात लोकप्रमाण षट्स्थानों के जाने पर सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीव के जघन्य अनुभाग स्थान की अन्तिम वर्गणा की
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