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पुद्गल-कोश
अस्तु सब परमाणु और सूक्ष्म स्कंधों को अवकाश ( स्थान ) देने के लिए समर्थ है । इस प्रकार की अवगाहन शक्ति जो आकाश में है इसी हेतु से असंख्यात प्रदेशप्रमाण लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव तथा उन जीवों से भी अनन्त गुणे पुद्गल अवकाश को प्राप्त होते हैं ।
यह लोक सब ओर से विविध तथा अनन्तानन्स सूक्ष्म-वादर पुद्गलकायों द्वारा अति सधनता के साथ भरा हुआ है ।
पुद्गल का क्षेत्रावगाह
पुद्गलजीवाश्च प्रतिनियतावगाहाः ॥८॥
टीका - पुद्गलाः अणवो नभसः प्रत्येकस्मिन् प्रदेशे, स्कन्धाश्च एकस्मिन्नपि स्वपरिमाण प्रदेशेषु, उत्कर्षतश्चासंख्येषु ।
परमाणु पुद्गल आकाशस्तिकाय के एक प्रदेश को अवगाहित कर रहता है । स्कंध पुद्गल आकाश के एक प्रदेश से लेकर असंख्यात प्रदेश अवगाह कर रहता है ।
- भिक्षुन्याय० भाग २
(छ) जीवेणं मंते ! जाइ दव्वाई' मासत्ताई गहियाइ निस्सरन्ति ताई' fi भिण्णा निस्सरन्ति अभिण्णाइ निस्सरन्ति ? गोयमा ! भिण्णाई वि निस्सरन्ति अभिण्णाई विनिस्सरन्ति । तत्थणं जाई बव्वाई भिण्णाई निस्सरन्ति ताई अनंतगुण परिवडिए परिबुडुमानाइ लोयंतं फुसंति । जाइ अभिण्णा निस्सरन्ति ताई असंखेज्जाओ ओगाहणवग्गणाओ गंता भेवमावज्जति संखेज्जाइ जोवणाइ गंता विद्ध समागच्छति ।
- पण्ण ० प ११ सू ३९८
तीव्र प्रेरणा प्राप्त शब्द कुछ क्षणों में सारे ब्रह्माण्ड को पार कर उसके अन्त तक पहुँच सकता है ।
(ज) विद्युत् पुद्गल परिणाम
स्निग्धरूक्षगुणनिमित्तो विद्युत् ।
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- सर्व ० अ ५ । सू ३४
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