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पुद्गल-कोश (१) संतति की अपेक्षा
स्कंध की स्थिति-संतति प्रवाह अर्थात् अपरापरोत्पत्ति प्रवाह की अपेक्षा अनादिअनंत होती है। (२) विवक्षित क्षेत्र को अपेक्षा
विवक्षित क्षेत्र में स्कंध पुद्गल की अवस्थिति रूप स्थिति सादिसांत होती है। (३) एक रूप को अपेक्षा
xxx। द्वयणुकादिस्कंधाः सादिसपर्यवसिताः, एकेन द्वयणुकत्वादिनां परिणामेनोत्कृष्टतोऽपिपुद्गलद्रव्यस्याऽसंख्येयकालमेव स्थिते। अनागताद्धा भविष्यत्कालरूपा साद्यपर्यवसिताxxx।
-विशेभा० गा २०३४ । टीका द्विप्रदेशी स्कंध से अनंतप्रदेशो स्कंध की ( व्यक्तिगतभाव) स्थिति-अधिक से अधिक असंख्यातकाल पर्यंत है। द्विप्रदेशी आदि स्कंध का स्थिति सादि-सपर्यवसित है। नोट-जघन्य स्थिति एक समय की जाननी चाहिए। एकक्षणाद्यसंख्येयकालान्तस्थितिशालिनः।
-लोकप्र. सर्ग ११ । गा ७ उत्तरार्ध पुद्गल को स्थिति जघन्य एक समय, उत्कृष्ट असंख्यातकाल की है। ( पाठ के लिए देखो क्रमांक २१) (४) सकंपत्व की अपेक्षा . (५) निष्कंपत्व की अपेक्षा __ एक आकाश प्रदेश में अवगाढ़ स्कंध पुद्गल यावत् असंख्यात प्रदेश में अवगाढ़ स्कंध पुद्गल स्वस्थान पर या दूसरे स्थान पर जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक सकंप रह सकता है।
एक आकाश में यावत् असंख्यात प्रदेश अवगाढ़ स्कंध पुद्गल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्येयकाल तक निष्कंप रह सकता है। ___ योट-कोई भी स्कंध पुद्गल अनंतप्रदेशावगाढ़ नहीं होता है अतः असंख्यात प्रदेशावगाढ़ का ही विवेचन किया गया है।
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