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पुद्गल-कोश
५५१ यदि इस चतुष्प्रदेशी स्कंध का भेद-विभाग होता है तो उसके दो, तीन अथवा चार विभाग होते हैं।
(१) यदि दो विभाग हों तो एक परमाणु का विभाग और दूसरा तीन प्रदेशी स्कंध का विभाग होगा। अथवा दो प्रदेशी स्कंधों के दो विभाग होंगे।
(२) यदि तीन विभाग हों तो दो प्रदेशी स्कंध का एक विभाग होगा और दूसरा-तीसरा विभाग एक-एक परमाणु पुद्गल का होगा।
(३) यदि चार विभाग हों तो चार परमाणु पुद्गलों के चार अलग-अलग विभाग होंगे।
और यदि इस पंच प्रदेशी स्कंध का भेद विभाग होता है तो उसके दो, तीन, चार अथवा पांच विभाग होते हैं । ( देखो क्रमांक ३२.४ से ३२.१२) .७७ पुद्गल का परिणमन बंधे अधिको परिणामिको च ।
-तत्त्व. अ ५ । सू ३७
अधिक गुणवाला हीन गुण वाले को परिणमन करेगा। •७८ द्रव्य और भाव द्रव्यस्य हि भावो द्विविधः परिस्पं बात्मकः अपरिस्पन्दात्मकश्च ।
-तत्त्वराज० अ५ । सू २२ द्रव्य में दो तरह का भाव बताया गया है-परिस्पंदात्मक व अपरिस्पंदात्मक । निष्क्रियाणि च तानीति परिस्पंदविमुक्तितः।
-तत्त्वश्लो• अ५ । सू ७ धर्म, अधर्म तथा आकाश-अपरिस्पंदात्मक है। इनमें परिस्पंदन करने की शक्ति बिल्कुल नहीं है। परिस्पंवात्मकः क्रियत्याख्याते, इतर परिणामः।
-राज. अ ५। सू २२
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