________________
५५०
पुद्गल - कोश
सत् से लेकर परमाणु तक यह सब द्रव्य प्रस्तार ( द्रव्य का थैलाव ) नित्य है, क्योंकि द्रव्य से सर्वथा पृथगभूत पर्यायों को सत्ता नहीं पाई जाती है । पर्याय द्रव्य से पृथग् उत्पन्न होती है - ऐसा मानना भी ठीक नहीं है, क्योंकि सत्ता आदि रूप द्रव्य से भिन्न पर्यायें नहीं पाई जाती है ।
• ७६ स्कंध का भेदन
( पाठ के लिए देखो क्रमांक - ३२.४ )
तम्हा दो परमाणु पोग्गला एगयओ न साहणंति ते भिज्जमाणा दुहा कज्जति । दुहा कज्जमाण्णा एगयओ परमाणुपोग्गले – एगयओ परमाणुपोग्गले भवति ।
तम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति । ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपए सिए खंधे भवति ।
तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं चत्तारि । तम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति । ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि, चउहा वि कज्जंति । दुहा कज्जमाणा एगयओ दुपएसिए बंधे - एगयओ वि दुपएसिए बंधे | अहवा एगयओ तिपएसिए बंधे - एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ । तिहा कज्जमाणा एगयओ दुपए सिए बंधे - एगयओ एगे - एगे परमाणुपोग्गखे भवइ । चउहा कज्जमाणा चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति ।
पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति । एगयओ साहणित्ता खंधत्ताए कज्जति ।
भग० श १ उ १० । सू ४४३ उस दो प्रदेशी स्कंध के भेद - विभाग होने से उसके एक-एक परमाणुपुद्गल के दो विभाग होते हैं ।
यदि उस तीन प्रदेशी स्कंध के भेद विभाग होते हैं तो उसके दो या तीन विभाग होते हैं । यदि दो विभाग हों तो एक विभाग में एक परमाणु पुद्गल और दूसरे विभाग में एक द्विप्रदेशी स्कंध होगा । यदि तीन विभाग हों तो तीन परमाणु पुद्गल पृथक्-पृक्क होंगे ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org