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पुद्गल-कोश
भंग पाये जाते हैं। उनमें से यहाँ प्रथम के सात भंग ग्रहण करने चाहिए। आठवां भंग यहाँ असंभव होने से घटित नहीं हो सकता। छःप्रदेशी स्कंध में और इसके आने यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध तक तेईस-तेईस भंग होते हैं।
नोट- इन तीन आत्माओं के भांगे २३ ( असंयोगी ३, दो संयोगी १२ व तीन संयोगी ८)। असंयोगी तीन भंग
१-आत्मा, २-नो आत्मा, ३-अवक्तव्य । दो संयोगी बारह भंग
१-आत्मा एक, नो आत्मा एक । २-आत्मा एक, नो आत्मा बहुत । ३-आत्मा बहुत, नो आत्मा एक । ४-आत्मा बहुत, नो आत्मा बहुत । ५-आत्मा एक, अवक्तव्य एक । ६-आत्मा एक, अवक्तव्य बहुत । ७-आत्मा बहुत, अवक्तव्य एक । ८-आत्मा बहुत, अवक्तव्य बहुत । ९-नो आत्मा एक, अवक्तव्य बहुत । १०-नो आत्मा एक, अवक्तव्य एक । ११-नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य एक ।
१२-नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य बहुत । तोन संयोगी आठ भंग
१-आत्मा एक, नो आत्मा एक, अवक्तव्य बहुत । २-आत्मा एक, नो आत्मा एक, अवक्तव्य बहुत । ३-आत्मा एक, नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य एक । ४-आत्मा एक, नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य बहुत । ५-आत्मा बहुत, नो आत्मा एक, अवक्तव्य एक । ६-आत्मा बहुत, नो आत्मा एक, अवक्तव्य बहुत । ७-आत्मा बहुत, नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य एक । ८-आत्मा बहुत, नो आत्मा बहुत, अवक्तव्य बहुत ।
परमाणु पुद्गल में तीन असंयोगी भंग पाये जाते हैं। दो प्रदेशी स्कंध में ६ भंग पाये जाते हैं, असंयोगी ३ और दो संयोगी ३-पहला, पांचवां और आठवां ।
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