________________
८२
पुद्गल-कोश भी परिणत होते हैं। गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं। [२३]
___ जो शीत स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुदगल स्पर्श से शीत स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नील वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं। गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, व्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२३]
जो उष्ण स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है । अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से उष्ण स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नील वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं। गंध से सुरभिगंध रूप में और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२३]
जो स्निग्ध स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से स्निग्ध स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण रूप में, नौल वर्ण रूप में, लोहित वर्ण रूप में, हारिद्र वर्ण रूप में और शुक्ल वर्ण रूप में भी परिणत होते हैं। गंध से सुरभि गंध रूप में और दुरभि गंध रूप में भी परिणत होते हैं। रससे तिक्त रस रूप में, कटु रस रूप में, कषाय रस रूप में, आम्ल रस रूप में और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत और उष्ण स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं। [२३]
जो रूक्ष स्पर्श वाले पुद्गल हैं उनमें वर्ण, गंध, रस और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुद्गल स्पर्श से रूक्ष स्पर्श रूप में परिणत होते हैं वे वर्ण से काले वर्ण
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org