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पुद्गल-कोश
३६३ उससे एक परमाणु अधिक उससे ऊपर की ध्र ववर्गणा का जघन्य है । उसे अनंतजीव राशि से गुणन करने पर उसका उत्कृष्ट होता है ।
उससे एक परमाणु अधिक उससे ऊपर की सान्तर-निरन्तरवर्गणा का जघन्य है। उसे अनंत जीव राशि से गुणन करने पर उसका उत्कृष्ट होता है।
नोट-यहाँ इतना विशेष है कि परमाणुवर्गणासे लेकर सान्तरनिरन्तरवर्गणा पर्यन्त पन्द्रहवर्गणाओं का समानधन अनंतगुणे पुद्गलों के वर्गमूल प्रमाण होने पर भी क्रम से विशेषहीन है। उनका प्रतिभागहार सिद्ध राशि के अनंतवें भाग है।
उत्कृष्ट सान्तर-निरन्तरवर्गणा में एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की शून्यवर्गणा का जघन्य होता है। उसे अनन्तगुणित जीव राशि के प्रमाण में गुणा करने पर उसका उत्कृष्ट होता है । इस प्रकार सोलहवर्गणा सिद्ध हुई ।
१७ उससे ऊपर प्रत्येक शरीरवर्गणा है। एक जीव के एक शरीर के विस्रसोपचय सहित कर्म-नोकर्म के स्कंध को प्रत्येक शरीर वर्गणा कहते हैं। शून्यवगंणा के उत्कृष्ट से एक परमाणु अधिक होने पर जघन्य प्रत्येक शरीरवर्गणा होती है। इस जघन्य से पल्य के असंख्यातवें भाग से गुणा करने पर उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा होती है।
१८-उसमें एक परमाणु अधिक होने पर जघन्य ध्र व शून्यवर्गणा होती है । इस जघन्य को सव मिथ्यादृष्टि जीवों के प्रमाण को असंख्यातलोक में भाग देने पर जो प्रमाण आवे उससे गुणा करने पर उत्कृष्ट भेद होता है।
उससे एक परमाणु अधिक वादर-निगोदवर्गणा है। बादरनिगोदिया जीवों के विस्रयोपचय सहित कर्म-नोकर्म परमाणुओं में एक स्कंध को बादरनिगोद वर्गणा कहते हैं। जघन्य बादर निगोदवर्गणा में एक परमाणुहीन होने पर उत्कृष्ट ध्र व शून्यवर्गणा होती है। तथा इस जघन्य को जगत् श्रेणि में असंख्यातवें भाग से गुणा करने पर उत्कृष्ट बादर निगोदवर्गणा होती है। उसमें एक परमाणु अधिक होने पर तीसरी शून्य वर्गणा होती है।
जघन्य सूक्ष्म निगोद जघन्यवर्गणा में एक परमाणु हीन करने पर तीसरी शून्यवर्गणा का उत्कृष्ट होता है ।
जघन्य सूक्ष्म निगोद वर्गणा को पल्य के असंख्यातवें भाग से गुणा करने पर उत्कृष्ट सूक्ष्म निगोदवर्गणा होती है ।
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