________________
४५०
पुद्गल-कोश
उत्कृष्ट अवगाहनावाले तीन प्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट अवगाहनावाले तीन प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है तथा अवगाहना रूप से भी तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। कृष्ण-नील-रक्तपीत-शुक्ल वर्ण पर्याय रूप से, सुगन्ध दुर्गन्ध पर्याय रूप से, तिक्त-कटु-कषाय-आम्लमधुर रस पर्याय रूप से तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
__ अजघन्य-अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) अवगाहनावाले तीन प्रदेशी स्कधों में भी अनंत पर्याय होते हैं।
__ अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले तीन प्रदेशी स्कंध अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहनावाले तीन प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है तथा अवगाहना रूप से भी तुल्य है। स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। कृष्ण-नील-रक्त-पीत-शुक्लवर्ण पर्याय रूप से, सुगन्ध-दुर्गन्ध पर्याय रूप से, तिक्त-कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से तथा शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
जिस प्रकार जघन्य अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, अवगाहना रूप से तुल्य है स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ( शीतउष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से ) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । वैसे ही जघन्य अवगाहनावाले चतुःप्रदेशी स्कंध जघन्य अवगाहनावाले चतुःप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से भी तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है, अवगाहना रूप से भी तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है, वर्ण-गंध-रस-स्पर्श (शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से ) पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
जिस प्रकार उत्कृष्ट अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट अवगाहनावाले द्विप्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से तुल्य है, अबगाहना रूप से तुल्य है। स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । वर्ण-गंध-रस-स्पर्श (शीतउष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से) पर्याय रूप स्पर्श से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है। उसी प्रकार उत्कृष्ट अवगाहनावाले चतुष्प्रदेशी स्कंध उत्कृष्ट अवगाहना वाले चतुष्प्रदेशी स्कंध से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है, अवगाहना रूप से भी तुल्य है। स्थिति रूप से भी चतु:स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है । वर्ण-गंध-रस-स्पर्श पर्याय रूप से (शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से ) छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org