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पुद्गल - कोश
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७ स्थिति अपेक्षा
जघन्या- जघन्यसंख्या समयापेक्षया स्थितिर्येषां ते जघन्यस्थितिकाः एकसमय स्थिति का इत्यर्थः तेषां, उत्कर्षा - उत्कर्षवत् संख्या समयापेक्षया स्थितिर्येषां ते तथा तेषामसंख्यातसमय स्थितिका नामित्यर्थः तृतीय कण्ठ्यं । भाव अपेक्षा
जघन्ये – जघन्यसंख्याविशेषणकेनेत्यर्थः गुणो-गुणनं ताडनं यस्य स तथा ( तथा ) विधः कालो वर्णो येषां ते जघन्यगुणकालकास्तेषाम्' एवमुत्कषगुणकालकानामनन्तगुण कालकानामित्यर्थः, तृतीयं कंठय, एवं भावसूत्राण्यपि षष्टिभावनीयामीति ।
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सामान्यस्कन्धवर्गणेकत्वाधिकारादेवाजघन्योत्कर्षप्रदेशिकास्याजघन्योत्कर्षप्रदेशावगाढ़स्य स्कन्धविशेषस्यैकत्वमाह ।
टीका सर्वेषां वर्गणा वर्ग:
: समुदायः ।
५०३
वर्गणा अर्थात् सजातीय समूह | 1- द्रव्य की अपेक्षा वर्गणा
-ठाण स्था १ । सू ५१ । टीका
द्विदेशी स्कन्ध की एक वर्गणा होती है । इसी प्रकार तीन प्रदेशी स्कंध यावत् दस प्रदेशी स्कंध, संख्यात प्रदेशी स्कंध, असंख्यात प्रदेशी स्कंध तथा अनन्त प्रदेशी स्कंध प्रत्येक को एक वर्गणा होती है ।
२ - क्षेत्र की अपेक्षा
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स्कंध पुद्गल आकाशास्तिकाय के एक प्रदेश से असंख्यात प्रदेश में अवगाहित कर रह सकते हैं । अत: एक प्रदेशावगाढ़ परमाणु व स्कंध पुद्गलों की एक वर्गणा होती है । इसी प्रकार दो प्रदेशावगाढ़ स्कंध पुद्गलों की यावत् असंख्यात प्रदेशावगाढ़ स्कंध पुद्गलों की प्रत्येक की, एक वगंणा होती है ।
३.
-काल स्थिति की अपेक्षा
एक समय की स्थिति वाले परमाणु व स्कंध पुद्गलों की एक वर्गणा होती है । इसी प्रकार दो समय की स्थितिवाले यावत् असंख्यात समय की स्थितिवाले परमाणु व स्कंध पुद्गलों की एक वर्गणा होती है ।
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