________________
पुद्गल-कोश
५१५
५
एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय को अपेक्षा और बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय को अपेक्षा से वह त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा तथा नो आत्माएं हैं ।
६ – बहुत देशों के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा और एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कंध आत्माएं और नो आत्मा हैं ।
- एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से से उभय ( सद्भाव और असद्भाव ) पर्याय की अपेक्षा से और आत्माएं तथा नो आत्माएं उभय रूप से अवक्तव्य है ।
- 67
८ - एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से उभय पर्याय की विवक्षा से त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा और आत्माएं तथा नो आत्माएं इस उभय रूप से अवक्तव्य है ।
और एक देश के आदेश त्रिप्रदेशी स्कंध आत्मा
९ - बहुत देशों के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा और एक देश के आदेश से उभय पर्याय की अपेक्षा से क्रिप्रदेशी स्कंध आत्माएं और आत्मा तथा नो आत्मा इस उभय रूप से अवक्तव्य है । ये तीन भंग जानने चाहिए ।
१० - एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभय पर्याय की अपेक्षा से तीन प्रदेशी स्कंध नो आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा से अवक्तव्य है ।
११
एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से तदुभय पर्याय को अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कंध नो आत्माए और आत्माएं तथा नो आत्माएं इस उभय रूप से अवक्तव्य है ।
१२ - बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय को अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से तीन प्रदेशी स्कंध नो आत्माएं और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है ।
१३ – एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय को अपेक्षा, एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा तीन प्रदेशी स्कंध कथंचित् आत्मा नोआत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है । अतः तीन प्रदेशी स्कंध के विषय में उपर्युक्त कथन किया गया है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org