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पुद्गल-कोश असम्भावपज्जवे देसे आइ8 तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव्वं आयाइ य नोआयाइ य १३ से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चइ तिपएसिए खंध सिय आया तं चेव जाव नो आयाइ य ।
-भग० श १२ । उ १० । सू २२०-२१ पृ० ५८४-८५
अर्थात् त्रिप्रदेशी स्कंध १ कथंचित् आत्मा है । ( विद्यमान है । ) २ कथंचित् नो आत्मा है, ३ आत्मा तथा नो आत्मा इस उभय रूप से कथंचित् अवक्तव्य है, ४ कथंचित् आत्मा तथा कथंचित् नो आत्मा है ।
५-कथंचित् आत्मा और नो आत्माएं हैं ।
६-कथंचित् आत्माएं और नो आत्मा है । ७-कथंचित् आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है ।
८-कथंचित् आत्मा और आत्माएं तथा नो आत्माएं उभय रूप से अवक्तव्य है।
९-कथंचित् आत्माएं और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है।
१.-कथंचित् नो आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है।
११-कथंचित् नो आत्मा और आत्माएं तथा नो आत्माएं उभय रूप से अवक्तव्य है।
१२-कथंचित् नो आत्माएं और आत्माएं तथा नो आत्माएं उदय रूप से अवक्तव्य है।
१३-कथंचित आत्मा, नो आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा उभय रूप से अवक्तव्य है।
इसका कारण यह है कि तीन प्रदेशी स्कंध-१-अपने आदेश ( अपेक्षा ) से आत्मा है, २.-पद के आदेश से नो आत्मा है, ३-उभय के आदेश से आत्मा और नो आत्मा-इस उभय रूप से अवक्तव्य है, ४-एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा त्रिप्रदेशो स्कंध आत्मा और नो आत्मा रूप है।
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