________________
• ६६ स्कंध पुद्गल की आत्मा • १ द्विप्रदेशी स्कंध की आत्मा
पुद्गल - कोश
आया भंते ! दुपए सिए खंधे, अन्ने दुपएसिए खंधे ? गोयमा ! दुपएसिए खंधे १ सय आया, २ सिय नो आया, ३ सिय अवत्तव्वं - आयाइय नोआयाति य, ४ सिय आया य नोआया य, ५ सिय आया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य, ६ सिय नोआया य अवत्तव्वं - आयाति य नोआयाति य । [ सू १८ ]
५११
सेकेणटुणं भंते ! एवं तं चैव जाव - 'नो आया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य ? गोयमा ! १ अप्पणी आदि आया, २ परस्स आदिट्ठे नोआया, ३ तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं दुपएसिए बंधे आयाति य नो आयाति य, ४ देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदिट्ठ असम्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नो आया य, ५ देसे आदिट्ठे सम्भाववज्जवे देसे आदि तदुभयपज्जवे दुपएसिए बंधे आया य अवत्तव्वं आयाइ य नोआयाइ य, ६ देसे आदिट्ठ असम्भावपज्जवे देसे आदि तदुभयपज्जवे दुपएसिए बंधे नोआया य अवत्तव्वं आयाति य नोआयाति य, से तेणटुणं तं चेव जाव नो आयाति य । अवत्तव्व - आयाति य नोआयाति य ।
- भग० श १८ । उ १० । सू १८, १९ पृ० ५८४
द्विप्रदेशी स्कंध कथंचित् आत्मा सद्रूप है, कथंचित् नो आत्मा असद्रूप है और सद्-असद्रूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है । ४ कथंचित् सद्रूप है और कथंचित् असद्रूप है । ५ कथंचित् सद्रूप है और सदसद् उभय रूप होने से अवक्तव्य है । ६ कथंचित् असद्रूप है और सदसद् उभय रूप होने अवक्तव्य है ।
इसका कारण यह है कि द्विप्रदेशी स्कंध अपने स्वरूप को अपेक्षा सद्रूप है, आत्मा है, पररूप को अपेक्षा असदरूप है आत्मा नहीं है और उभयरूप से अवक्तव्य है ।
Jain Education International
४ - एक देश की अपेक्षा एवं सद्भाव पर्याय की विवक्षा तथा एक देश की अपेक्षा से एवं असद्भाव पर्याय को विवक्षा से द्विप्रदेशी स्कंध सद्रूप है और असद्रूप है ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org