________________
पुद्गल - कोश
५०९
जो अवधि ज्ञानी काल से पल्योपम के संख्यातवें भाग को, क्षेत्र से लोक के संख्यातवें भाग को देखता है वह अवधि ज्ञानी कार्मणवर्गणा द्रव्य को जानता है ।
जो अवधिज्ञान संपूर्णलोक को देखता है वह कुछ न्यून पल्योपम काल को देखता है ।
कर्म द्रव्य के बाद—— उसके ऊपर ध्रुववर्गणादि द्रव्य को देखता हुआ - अनुमान से - क्षेत्र - कालबृद्धि के क्रम से परमावधिज्ञान संभव है ।
.६ पुद्गल का ज्ञान
अवधि ज्ञानी जीव किन-किन वर्गणाओं को जानता है
तेया कम्मशरीरेतेयादव्वे य भासदव्वे य । बोधव्वमसंखेज्जा दीव-समुद्दा य कालो य ॥
टीका - शरीरशब्दः प्रत्येकमभिसंबध्यते । तैजसशरीरे कार्मणशरीरे चैतद्विषयेऽवधावित्यर्थः तथा, तंजसवर्गणाद्रव्यविषयेऽवधौ, भाषावर्गणाद्रव्यगोचरे, भाषावर्गणाद्रव्यगोचरे चावधौ क्षेत्रतः प्रत्येकमसंख्येया द्वीपसमुद्राः, कालश्चासंख्येय पल्योपमासंख्येयभागरूपो विषयत्वेन बोद्धव्यः । कार्मणशरीरादप्यबद्धानां तजसवर्गणाद्रव्याणां सूक्ष्मत्वात् तद् बृहत्तरं, तेभ्योऽपि भाषाद्रव्याणां सूक्ष्मत्वात् तद् बृहत्तमं द्रष्टव्यम् × × ×।
विशेभा० गा ६७३
तेजस शरीर तथा कार्शण शरीर को देखने वाले अवधिज्ञानी तथा तेजस वर्गणा द्रव्य और भाषावर्गणा द्रव्य को देखने वाले अवधिज्ञानी क्षेत्र से असंख्यात द्वीप- समुद्र और काल से पल्योपम के असंख्यातवें भाग को देखते हैं । यद्यपि यहाँ पर तेजस शरीर और कार्मण शरीर को देखने वाले अवधिज्ञान का विषय सामान्यतः समान है फिर भी तैजस शरीर की अपेक्षा कार्मण शरीर सूक्ष्म है, कार्मण शरीर की अपेक्षा भाषा वर्गणा द्रव्य सूक्ष्म है अतः तेजस शरीर की अपेक्षा कार्मण शरीर का विषय, कार्मण शरीर की अपेक्षा भाषा वर्गणा का द्रव्य बृहतर है ।
Jain Education International
( देखो क्रमांक १३ तथा ३३ )
तेईस वर्गणाओं में से आहारवर्गणा, तैजसवर्गणा, भाषा वर्गणा, मनोवर्गणा और कार्मण शरीरवर्गणा - ये पाँच वर्गणाएँ जीव द्वारा ग्रहण योग्य है, शेष नहीं ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org