________________
४८४
पुद्गल-कोश (ख) सेकितं रुविअजीवाभिगमे ? __ रुविअसजीवाभिगमे चउन्विहे पण्णत्ते, तंजहा–खंधा, खंधदेसा, खंधप्पएसा, परमाणुपोग्गला। ते समासओ पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा, वण्णपरिणया, गंधपरिणया, रसपरिणया, फासपरिणया, संठाणपरिणया।
-जीवा० १।१ । सू ५
रूपी (पुद्गल ) अजीवाभिगम चार प्रकार का कहा है, यथा-स्कंध, देश, प्रदेश, और परमाणु । वे समास में पाँच प्रकार से परिणत है-यथा-वर्ण परिणत, गंधपरिणत, रसपरिणत, स्पर्शपरिणत और संस्थान परिणत ।
'६ स्कंध पुद्गल द्रव्य स्कंध के भेद - से किं तं खंधे ? २ चउन्विहे पन्नत्ते, तंजहा-नामखंधे ठवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे।xxx। से किं तं दव्वखंधे ? २ दुविहे पन्नत्ते, तंजहा- आगमतो य नोआगमतो य ।xxx। से कि तं अचित्तवव्वखंधे ? २ अणेगविहे पन्नत्ते, तंजहा-दुपएसिए खंध तिपएसिए खंधे जाव बसपएसिए खंधे संखिज्जपएसिए खंधे असंखिज्जपएसिए खंधे अणंतपएसिए खंध से तं अचित्ते दव्वखंधे। x x x।
-अणुओ० सू ५२, ५६, ६३
स्कन्ध के चार प्रकार है, यथा-नाम स्कन्ध, स्थापना स्कंध, द्रव्यस्कंध और भावस्कन्ध । द्रव्य स्कंध, दो प्रकार का कहा है । यथा- आगम और नो आगम द्रव्य स्कंध । अचित्त द्रव्य स्कंध अनेक प्रकार का कहा है, यथा--द्विप्रदेशी स्कंध यावत् दस प्रदेशी स्कंध, संख्यात प्रदेशीस्कंध, असंख्यात प्रदेशी स्कंध व अनतप्रदेशी स्कंध ।
.७ अहवा जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-कसिणखंधे अकसिणखंधे अणेगदवियखंधे।x xxI से कि तं अकसिणखंधे ? २ से चेव दुपएसियादीखंधे जाव अणंतपएसिए खंधे । से तं अकसिणखंधे। से कि तं अणेगदवियखंधे ? २ तस्स चेव देसे अवचिए तस्स चेव उवचिए । से तं अणंगवविअखंधे।।
-अणुओ० सू ६५, ६७, ६८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org