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पुद्गल-कोश ___ अष्ट स्पर्श आदि से युक्त -बादर परिणाम को प्राप्त हुआ-स्कन्ध-बादर स्कन्ध है।
•४ भेदों की परिभाषा-अर्थ
xxx 'खंध' ति परमाणुप्रचयात्मकाः स्कंधाः' स्कन्धदेशा द्वयादयो विभागाः, स्कंधप्रदेशास्तस्यैव निरंशा अंशाः परमाणुपुद्गलाः स्कधभावमनापन्नाः परमाणवः ।
-भग० श २ । उ १० । सू ६६ । टीका परमाणु प्रचय को स्कन्ध कहते हैं, दो, तीन आदि स्कन्ध के भाग को स्कन्ध देश कहते हैं, निरंश अंश को प्रदेश कहते हैं अर्थात् स्कन्ध के अविभागी अंश को स्कन्ध प्रदेश कहते हैं। स्कन्ध भाव को नहीं प्राप्त हुए पुद्गल को परमाणु पुद्गल कहते हैं।
स्कन्ध-जो पुद्गलों के अलग होने से शोषण को प्राप्त होते हैं और पुद्गलों के मिलने से वृद्धि को प्राप्त होते हैं उन्हें स्कन्ध कहा जाता है। पृषोदरादि में पाठ होने से स्कन्ध शब्द की निष्पत्ति होती है ।
स्कन्ध देश- स्कन्धों के ही स्कन्ध रूप परिणाम को नहीं छोड़ते हुए-बुद्धिकल्पित दो, तीन आदि प्रदेश के समुदाय रूप विभाग को स्कन्ध देश कहते हैं।
स्कन्ध प्रदेश-स्कन्ध रूप परिणामों को प्राप्त हुए स्कन्धों के ही बुद्धिकल्पित प्रकृष्ट-अत्यन्त सूक्ष्म देश-निविभाग को स्कन्ध प्रदेश कहते हैं।
परमाणु -परम-अत्यन्त सूक्ष्य अणु जिसके भाग की कल्पना नहीं हो सकती है। इस प्रकार निविभाग द्रव्य रूप पुद्गल को परमाणु पुद्गल कहते हैं। अस्तु स्कन्ध रूप परिणाम रहित केवल परमाणु को जानना चाहिए । .५ स्कंध पुद्गलों का सूक्ष्म परिणामावगाहन __स्यादेतदसंख्यातप्रदेशोलोकः, अनन्तप्रदेशस्यानन्तप्रदेशस्या च स्कन्धस्याधिकरणमिति विरोधस्ततो नानान्त्यमिति नेष दोषः। सूक्ष्मपरिणामवगाहन शक्तियोगात् परमाणवादयो हि सूक्ष्मभावेन परिणता एककस्मिन्नप्याकाशप्रदेशेऽनन्तानन्तानामवस्थानं न विरुद्धयते ।
-सर्वार्थसिद्धि अ ५ । सू १०
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