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पुद्गल - कोश
३ – पंच प्रदेशी स्कंध में पहला, तीसरा, सातवाँ, नववां, दसवां, ग्यारहवां, बारहवां, तेरहवां, तेइसवां, चौवीसवां तथा पचीसवां विकल्प होता है ।
४ - छ ः प्रदेशी स्कंध में दूसरा, चौथा, पांचवां छट्टा, पंद्रहवां, सोलहवां, सतरहवां, अठारहवां, बीसवां, इक्कीसवां तथा बाइसवां भग के सिवाय अन्य भंग जानना चाहिए ।
५- सात प्रदेशी स्कंध में दूसरा, चौथा, पांचवां, छट्टा, सोलहवां, सतरहवां, अठारहवाँ और बाइसवाँ विकल्प सिवाय अवशेष भंग जानना चाहिए ।
अवशेय स्कंधों के विषय में ( अष्ट प्रदेशी स्कंध, नवप्रदेशी स्कंध, दस प्रदेशी स्कंध, संख्यात प्रदेशी स्कंध, असंख्यात प्रदेशी स्कंध, अनंत प्रदेशी स्कंध ) दूसरा, चौथा, पांचवां, छट्टा, पंद्रहवां, सोलहवां सतरहवां, अठारहवां विकल्पों को छोड़कर अवशेष भंग जानना चाहिए ।
नोट- दो प्रदेशी स्कंध में १, ३ ( पहला, तीसरा ) दो भांगे मिलते हैं यथा१ [][ ], ३ [ ] उसी प्रकार उपयोग लगाकर भांगे जान लेने चाहिए ।
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नोट - परमाणु पुद्गल का मध्य नहीं है अतः चरम नहीं है तथा अन्त भी नहीं है अतः अचरम नहीं है, अवक्तव्य है । द्विप्रदेशी स्कंध यदि आकाश के दो प्रदेश को अवगाहित कर रहते है तो पहले की अपेक्षा दूसरा चरम तथा दूसरे की अपेक्षा पहला चरम है | अचरम नहीं है क्योंकि उन परमाणु स्कंध के तीन विभाग नहीं होते हैं । यदि द्विप्रदेश स्कंध आकाश के एक प्रदेश से अवगाहित कर रहे तो चरम अचरम दोनों नहीं है अतः अवक्तव्य है । अतः द्विप्रदेशी स्कंध में पहला व तीसरा भंग मिलता है । अवशेष २४ भांगे नहीं मिलते हैं ।
यदि तीन प्रदेशी स्कंध के दो प्रदेश सय श्रेणी में रहे व एक विषय श्रेणी में रहे तो सम श्रेणी की अपेक्षा चरम है व विषम श्रेणी की अपेक्षा अवक्तव्य है । ( ग्यारहवां भंग ) यदि तीन परमाणु तीन प्रदेश अवगाह कर रहे तो तब दोनों तरफ दो परमाणु रहे वे बहुवचन आश्री चरम है और एक परमाणु बीच में है वह एक वचन आश्री अचरिम है ( नौवां भंग ) । इस प्रकार तीन प्रदेशी स्कध में ४ भांगे मिलते हैं । ( १, ३, ९, ११ ) शेष २२ भंग नवीं मिलते हैं ।
इस प्रकार उपयोग लगाकर सर्व स्कंध के विषय में जान लेना चाहिये ।
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