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पुद्गल - कोश
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नोट – शकेन्द्र ने अपने द्वारा फेंके गये अति तीव्र निक्षिप्त पुद्गल को पीछे दौड़ कर पकड़ लिया था ।
४ क्रिया परिस्पंदात्मक है
परिस्पंदनलक्षणा क्रिया ।
क्रिया को परिस्पंदन लक्षण वाली कहा गया है ।
•५ पुद्गल और क्रिया
क्रियानेकप्रकारा हि पुद्गलानामिवात्मनाम् ।
—प्रव० अ २ । सू ३७ की प्रदीपिका वृत्ति
• ५७ स्कंध पुद्गल और भाव
प्रथमतः क्रिया के अनंत पर्यायों की अपेक्षा अनंत भेद हो सकते हैं । सामान्यतः क्रिया के अनेक भेद हैं ।
६ दो भेद
पुद्गलानामपि द्विविधा क्रिया- वित्रता प्रयोगनिमित्ता च ।
विशेष अपेक्षाओं से क्रिया के दो भेद हैं- ये भेद निमित्त अपेक्षा से है । (१) वैऋसिक और ( २ ) प्रायोगिक |
( पाठ के लिए देखो १२.१३ )
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- तत्त्वश्ल े० अ ७ । सू ४६
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तत्त्वराज अ ५ । सू ७
द्विप्रदेशी स्कंध यावत् ( दस प्रदेशी स्कंध यावत् संख्यात प्रदेशी स्कंध यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कंध ) अनंत प्रदेशी स्कंधों में सादि पारिणामिक भाव होता है ।
चूंकि व्यक्तिगत भाव से स्कंध पुद्गल की स्थिति असंख्यात काल से अधिक नहीं होती है अतः स्कंध पुद्गल में सादि पारिणामिक भाव कहा है ।
•५८ स्कंध पुद्गल सामग्री जन्य ( कारण - समूह ) है
१ x x x यतो द्वयणुकादयः स्कंधाः सप्रदेशत्वाद् द्वयादिपरमाणु जन्यत्वाद् भवन्तु सामग्रीजन्याः ।
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- विशेभा० गा १७३७ । टीका
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