________________
पुद्गल-कोश
- ३ संहतानां द्वितयनिमित्तवशाद्विदारणं भेदः, विविक्तानामेकीभावः संघातः । x x x तदपेक्षो हेतुनिर्देशो भेदसंघातेभ्य इति निमित्तकारणहेतुषु सर्वासां प्रदर्शनाद्भदसंघातेभ्य उत्पद्यंत इति ।
४७९
- तत्त्व श्लो० अ ५ । सू २६ । पृ० ४३१ ·४ द्वयोः परभाण्वोः संघाताद् द्विप्रदेशः स्कंध उत्पद्यते । द्विप्रदेशस्याणोश्च वयाणं वा अणूनां संघातात् त्रिप्रदेशः । द्वयोद्विप्रदेशयोस्त्रिप्रदेशस्याणोश्च चतुर्णां वा अणूनां संघाताच्चतुः प्रदेशः । एवं संख्येयासंख्येयानन्तानामनन्तानन्तानां च संघातात्तावत्प्रदेशः । एषामेवभेदात्तावद् द्विप्रदेश पर्यन्ताः स्कंधा उत्पद्यन्ते ।
एवं भेदसंघाताभ्यामेकसमयिकाभ्यां द्विप्रदेशादयः स्कन्धा उत्पद्यन्ते । अन्यतो भेदेनान्यस्य संघातेनेति ।
- सर्वसि ० ० अ ५ । सू २६ xxxबंधाणं विहडणं भेदोणाम । परमाणुपोग्गलसमुदयसमागमो संघादो णाम । भेदं गंतूण पुणो समागमो भेद संघादो णाम । × × × - षट्० खण्ड ५ भा ४ । सू ९८ । टीका पु १४
स्कन्धों का विभाग होना भेद हैं । परमाणुपुद्गलों का समुदाय समागम होना संघात है । भेदों से प्राप्त होकर पुनः समागम होना भेद-संघात है ।
नोट - द्विप्रदेशी आदि स्कंध के भेद से ही एक प्रदेशी - परमाणु पुद्गल होता है क्योंकि सूक्ष्म की स्थूल से ही उत्पत्ति देखी जाती है । संघात से और भेद-संघात से एक प्रदेश परमाणु पुद्गल द्रव्य नहीं होता है क्योंकि उसके नीचे अन्य वर्गणाओं का अभाव है ।
दो एक प्रदेशी परमाणु पुद्गल के समुदाय समागम से द्विप्रदेशी स्कंध होता है । तीन परमाणु के संघात से तीन प्रदेशी स्कंध तथा चार परमाणु के संघात से चार प्रदेशी स्कंध होता है । इसी प्रकार संख्यात, असंख्यात व अनंत प्रदेशी स्कंध के विषय में जानना चाहिए ।
५ पुद्गल स्कंध की उत्पति के कारण
स्कंधस्योत्पत्रिनिमित्तं भेदसंघातादयो भवन्ति ।
Jain Education International
- आर्हत० उल्लास २ । सू २४९ । पृ० ६६९
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org