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पुद्गल-कोश
३६५ हंता गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणया भेदाणुवाएणं अणताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवंतीति मक्खाया।
-भग० श १२ । उ ४ । सू ८१ । ६५६० पुद्गलों के द्वारा पुद्गल द्रव्यों के साथ परावर्त-पुद्गलपरावर्त । एक परमाणु का अन्य अनंत परमाणुओं के साथ संयोग-वियोग-एक पुद्गल परावतं है। ५०/६९ स्कन्ध पुद्गल.५१ स्कंध पुद्गल और विभाव गुण विभावगुणमिदि भणिदं, जिणसमये सवपयडतं ।
-नियम० गा २७ । उत्तरार्ध द्विप्रदेशी स्कंध यावत् दसप्रदेशी स्कंध, यावत् संख्यात प्रदेशी स्कंध, असंख्यात प्रदेशी स्कंध और अनंत प्रदेशी स्कंध को-विभाव गुण रूप विभाव पुद्गल कहा है। •५१ स्कन्ध पुद्गल के गुण .१ द्रव्यत्व दविए, त्ति, द्रव्ये पुद्गल स्कंधरूपे x x x।
-पिंडनि• गा ५५ टीका-ननु मूर्तेषु द्रव्येषु परस्परं संयोगतः संख्याबाहुल्यतश्च पिण्ड इति व्यपदेशो घटते।
स्कंध पुद्गल में परस्पर संयोग होता है-संख्या की बाहुलता भी है। द्रव्यतः स्कंध पुद्गल है। ५१.२ स्कंध पुद्गल शाश्वत भी है अशाश्वत भी है
.१ परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सासए, असासए ? गोयमा ! सिए सासए, सिय असासए। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सिए सासए, सिय असासए ? गोयमा! वव्वट्टयाए सासए वणपज्जवेहि जाव फासपज्जवेहि असासए से तेण8 णं जाव सिए सासए, सिए असासए ।
-~भग० श १४ । उ ४ सू ४९, ५०
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