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पुद्गल-कोश
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जिस प्रकार नव प्रदेशी स्कंध में गंध के भंगों का विवेचन किया गया है उसी प्रकार दस प्रदेशी स्कंध में (असंयोगी २ भग तथा द्विक संयोगी ४ भंग-कुल मिलाकर गंध सम्बन्धी ६ भंग होते हैं।) गंध के भंगों का विवेचन करना चाहिए।
जिस प्रकार दस प्रदेशी स्कंध में वर्ण की अपेक्षा (५+४०+८०+८०+ ३२ =२३७ भंग) २३७ भंगों का विवेचन किया गया है वैसे ही दस प्रदेशी स्कंध में रस की अपेक्षा २३७ भंगों का विवेचन करना चाहिए।
जिस प्रकार चतुःप्रदेशी स्कंध में स्पर्श की अपेक्षा (४+१+१=३६ भंग ) ३६ भंगों का विवेचन किया गया है वैसे ही दस प्रदेशी स्कंध में स्पर्श की अपेक्षा ३६ भंगों का विवेचन करना चाहिए ।
इस प्रकार दस प्रदेशी स्कंध में वर्ण के २३७ भंग, गंध के ६ भंग, रस के २३७ भंग तथा स्पर्श के ३६ भंग-ये सब मिलाकर ५१६ भंग होते हैं । •७ संख्यात प्रदेशी स्कंध में वर्ण-गंध-रस-स्पर्श .८ असंख्यात प्रदेशी स्कंध में वर्ण-गंध-रस-स्पर्श .९ सूक्ष्म परिणत अनंत प्रदेशी स्कंध में वर्ण-गंध-रस-स्पर्श
जिस प्रकार दस प्रदेशी स्कंध में वर्ण की अपेक्षा २३७ भंगों का, (५+४० + ८०+८०+३२=२३७ भंग ) गंध की अपेक्षा ६ भंगों का, (२+४=६ भंग ) रस की अपेक्षा २३७ भंगों का, (५+ ४०+५०++३२=२३७ भंग) तथा स्पर्श की अपेक्षा ३६ भंगों का, (४+१६ + १६ = ३६ भंग) विवेचन किया गया है वैसे ही संख्यात प्रदेशी स्कंध में, असंख्यात प्रदेशी तथा सूक्ष्म परिणाम वाला अनंत प्रदेशी स्कंध में भी वर्ण की अपेक्षा २३७ भंगों का, (५+४०+८०+ ८०+३२ =२३७ भंग ) गंध की अपेक्षा ६ भंगों का, (२+४=६ भंग) रस की अपेक्षा २३७ भंगों का ( ५४.+८.+८०+३२ =२३७ भंग ) तथा स्पर्श की अपेक्षा ३६ भंगों का, (४+१+१६ = ३६ भंग) विवेचन करना चाहिए।
संख्यात प्रदेशी स्कंध में, असंख्यात प्रदेशी स्कंध में तथा सूक्ष्म परिणत अनंत प्रदेशी स्कंध में कदाचित् एक वर्ण, कदाचित् दो वर्ण, कदाचित् तीन वर्ण, कदाचित् चार वर्ण, कदाचित् पाँच वर्ण, कदाचित् एक गंध, कदाचित् दो गंध, कदाचित् एक रस, कदाचित् दो रस, कदाचित् तीन रस, कदाचित् चार रस, कदाचित् पाँच रस, कदाचित् दो स्पर्श, कदाचित् तीन स्पर्श तथा कदाचित् चार स्पर्श होते हैं ।
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