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पुद्गल-कोश पुद्गल का स्कंध रूप जो परिणमन होता है वह उसका विमाव पर्याय है।
सद्भावो हि, स्वभावो गुणः सह पर्ययश्चित्रः। .. द्रव्यस्य - सर्वकालमुत्पावव्यय ध्रुवत्वः॥
, -प्रव० अ २ । गा ४ की छाया यह (यानी द्रव्य का अस्तित्व ) गुण-पर्याय सहित है तथा उत्पाद, व्यय व ध्रुवत्व संयुक्त है। गुणपर्यायवद् द्रव्यम् ।
-तत्त्व० अ५ । सू ३७ जिसमे गुण और पर्याय हो-उसे द्रव्य कहते हैं । द्रव्याश्रयानिर्गुणा गुणाः।
-तत्त्व. अ ५ । सू ४. जो द्रव्य में रहते हैं, स्वयं निर्गुण है, वे ही गुण कहलाते हैं । भावान्तरं संज्ञान्तरं च पर्यायः।
-तत्त्व. उ । ५ । सू ३७ का भाष्य संज्ञान्तर व भवान्तर को पर्याय कहते हैं । .५२.२ स्कन्ध पुद्गल और एकत्व-पृथग्त्व (पाठ के लिए देखो क्रमांक १२.२)
एगत्तेण पुहुत्तेण खंधा य परमाणु य ।
-उत्त० अ ३६ । गा १० । पूर्वाधं । पृ० १०५. अनेक परमाणुओं के एकत्व से स्कंध बनता है और उनका पृथग्त्व होने से पुनः परमाणु हो जाते हैं। .५२.३ स्कन्ध पुद्गल और बंधन के नियम
(पाठ के लिए देखो क्रमांक ३२.३)
दो परमाणु पुद्गल, तीन परमाणु पुद्गल, चार परमाणु पुद्गल या पांच परमाणु पुद्गल स्निग्धता के कारण परस्पर बंधन को प्राप्त होते हैं। इन दो, तीन,
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