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पुद्गल-कोश स्निग्ध सब पुद्गल का रूक्ष सब पुद्गल के साथ जो बंध होता है वह किस अवस्था में होता है, ऐसा पूछने पर 'विसमे समे वा' यह वचन कहा है। गुण के अविभाग-प्रतिच्छेदों की अपेक्षा रूक्ष पुद्गल के साथ सदृश स्निग्ध पुद्गल सम कहलाता है और असदृश स्निग्ध पुद्गल विषम कहलाता है । यहाँ स्निग्ध और रूक्ष गुण के द्वारा पुद्गलों का बंध होता है। इस नियम के अनुसार सब पुद्गलों का बंध प्राप्त होने पर 'जहण्णवज्जे' यह कहा है। जघन्य गूणवाले स्निग्ध और रूक्ष पूदगलों का न तो स्वस्थान की अपेक्षा बंध होता है और न परस्थान की अपेक्षा ही बंध होता है।
इस तरह इस प्रकार के गुणविशिष्ट पुद्गलों का बंध होता है।
'५२.४ स्कंध पुद्गल और बंधन तथा भेवन
( पाठ के लिए देखो क्रमांक ३२.४ )
दो परमाणु पुद्गल एकत्र होकर जब बंधन को प्राप्त होते हैं तब उनका एक द्विप्रदेशी स्कंध होता है। उस द्विप्रदेशी स्कंध के भेद-विभाग होने से उसके एक-एक परमाणु पुद्गल के दो विभाग होते हैं।
तीन परमाणु पुद्गल जव एकत्र होकर बंधन को प्राप्त होते हैं तब उनका एक तीन प्रदेशी स्कंध होता है। यदि उस तीन प्रदेशी स्कंध के भेद-विभाग होते हैं तो उनके दो या तीन विभाग होते हैं। यदि दो विभाग हों तो एक विभाग में एक परमाणु पुद्गल और दूसरे विभाग में एक द्विप्रदेशी स्कंध होगा। यदि तीन विभाग हों तो तीन परमाणु पुद्गल पृथक्-पृथक् होंगे।
चार परमाणु पुद्गल जब एकत्र होकर बंधन को प्राप्त होते हैं तब उनका एक चतुष्प्रदेशी स्कंध होता है और यदि इस चतुष्प्रदेशी स्कंध का भेद-विभाग होता है तो उसके दो, तीन अथवा चार विभाग होते हैं ।
(१) यदि दो विभाग हों तो एक परमाणु पुद्गल का विभाग और दूसरा तीन प्रदेशी स्कंध का विभाग होगा। अथवा दो प्रदेशी स्कंधों के दो विभाग होंगे।
(२) यदि तीन विभाग हों तो द्विप्रदेशी स्कंध का एक विभाग होगा और दूसरातीसरा विभाग एक-एक परमाणु का होगा।
(३) यदि चार विभाग हों तो चार परमाणु पुद्गल के चार अलग-अलग विभाग होंगे।
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