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-४ तद् भेदसंघाताभ्यामपि ।
भवति ।
पुद्गल - कोश
- जैसिदी ० प्र२ । सू १८
विभिन्न परमाणुओं का एक होना जैसे स्कंध है, वैसे विभिन्न स्कंधों का एक होना व एक स्कंध का एक से अधिक परमाणु की इकाई में टूटने का परिणाम भी एक स्वतन्त्र स्कंध है ।
स्कन्धस्य भेदतः संघाततोऽपि स्कन्धो
• ५ तत्र अन्त्यं अशेषलोकव्यापि महास्कन्धस्य ।
कम से कम दो परमाणुओं का एक स्कंध होता है जो द्विप्रदेशी स्कंध कहलाता है और कभी-कभी अनंत परमाणुओं के स्वाभाविक मिलन से एक लोक व्यापी महास्कंध भी बन जाता है ।
स्कन्ध देश
-६ बुद्धिकल्पितो वस्तवंशी देशः । वस्तुनोऽपृथग्भूतो बुद्धिकल्पितोंशो देश उच्चते ।
- जैसिदी ० प्र १ । सू ३०
स्कन्ध एक इकाई है | उस इकाई से बुद्धि कल्पित एक भाग को स्कंधदेश कहा जाता है ।
निरंशो देवः प्रदेशः कथ्यते ।
- जैसिदी० प्र १ । सू १५
नोट – इस दण्ड का आधा भाग या वह इस पुस्तक का एक पृष्ठ है तो वह उस स्कन्ध रूप दण्ड का पुस्तक का एक देश कहलाता है । जिसे हम देश कहेंगे वह स्कन्ध से पृथग्भूत नहीं होगा । पृथग्भूत होने से तो वह स्वयं एक स्कन्ध की संज्ञा
ले लेगा ।
•७ प्रदेश
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परमाणु जब तक स्कंधगत है तब तक वह स्कंध प्रदेश कहलाता है ।
नोट- वस्तु का वह अविभागी अंश जो सूक्ष्मतम है और जिसका फिर अंश नहीं बन सकता वह स्कंधप्रदेश है ।
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- जैसिदी ० १ । ३१
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