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पुद्गल-कोश .५११० स्कंध पुद्गल परिणामी है (१) खंघसरूबेण पुणो, परिणामो सो विहावपज्जावो।
-निवम० अधि २ । गा २८ उत्तरार्ध ___ स्कंध पुद्गल में विभाव पर्याय होती है। जो परिणमन अन्य की अपेक्षा से होता है उसे विभाव पर्याय कहते हैं। स्कंध पुद्गल का परिणमन पर की अपेक्षा से होता है अर्थात् स्कंध पुद्गल का परिणमन सजातीय परमाणुओं से होता है । - २ एस णं भंते ! खंधे तोतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा! एसणं खंधे तोतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्यं सिया।
एस णं भंते ! खंधे पडुप्पणं सासयं समय भवतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! एस णं खंधे अणागयं अणंतं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया।
एस णं भंते ! खंधे अणागयं अगंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! एस णं खंधे अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया।
-भग• श १ । उ ४ । सू १९४ से १९६ स्कंध पुद्गल अतीत अनंत शाश्वत काल में था। स्कंध पुद्गल वर्तमान शाश्वत काल में है। स्कंध पुद्गल अनंत और शाश्वत भविष्यत काल में रहेगा।
इस प्रकार स्कंध के तीन आलापक की पृच्छा की गई है-(१) अतीत अनंत शाश्वत काल, (२) वर्तमान शाश्वत काल और (३) अनंत शाश्वत भविष्यत् काल ।
यहाँ अतीत काल को अनंत और शाश्वत कहा गया है । अतीत काल सदा से है, उसकी आदि (प्रारम्भ ) नहीं है इस कारण वह परिमाण रहित है। परिमाण रहित होने के कारण वह अनंत है और अतीत काल सदा ही रहता है, कभी ऐसा अवसर नहीं आसकता कि लोक में अतीत काल न हो। इस कारण से अतीत काल को शाश्वत कहा है। वर्तमान काल भी शाश्वत है और भविष्यत् काल भी शाश्वत है ।
नोट-परमाणु भी तीनों काल में शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।
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