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पुद्गल - कोश
जिस प्रकार आठ प्रदेशी स्कंध में गंध के भंगों का विवेचन किया गया है उसी प्रकार नव प्रदेशी स्कंध में ( असंयोगी २ भंग तथा द्विकसंयोगी ४ भंग - कुल मिलाकर गंध सम्बन्धी ६ भंग होते हैं । ) गंध के भंगों का विवेचन करना चाहिए ।
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जिस प्रकार नव प्रदेशौ स्कंध में वर्ण की अपेक्षा ( ५+४०+5+50+ ३१ = २३६ भंग ) २३६ भंगों का विवेचन किया गया है वैसे ही नवप्रदेशी स्कंध में रस की अपेक्षा २३६ भंगों का विवेचन करना चाहिए |
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जिस प्रकार चतुः प्रदेशी स्कंध में स्पर्श की अपेक्षा ( ४+१६+ १६ ३६ भंग ) ३६ भंगों का विवेचन किया गया है वैसे ही नव प्रदेशी स्कंध में स्पर्श की अपेक्षा ३६ भंगों का विवेचन करना चाहिए ।
इस प्रकार नव प्रदेशी स्कंध में वर्ण के २३६ भंग, गंध के ६ भंग, रस के २३६ भंग तथा स्पर्श के ३६ भग- ये सब मिलाकर ५१४ भंग होते हैं ।
६ दस प्रदेशी स्कंध में वर्ण-गंध-रस-स्पर्श
दस प्रदेशी स्कंध में कदाचित् एक वर्ण, कदाचित् चार वर्ण, कदाचित् पाँच वर्ण; कदाचित् एक रस, कदाचित् दो रस, कदाचित् पाँच रस, कदाचित् दो स्पर्श,
स्पर्श होते हैं ।
कदाचित् दो वर्ण, कदाचित् तीन वर्ण, कदाचित् एक गंध, कदाचित् दो गंध ; कदाचित् तीन रस, कदाचित् चार रस, कदाचित् तीन स्पर्श तथा कदाचित चार
जिस प्रकार नव प्रदेशी स्कंध में एक वर्ण के ५ भंगों का, दो वर्ण के ४० भंगों का, तीन वर्ण के ८० भंगों का तथा चार वर्ण के ८० भंगों का विवेचन किया गया है वैसे ही दस प्रदेशी स्कंध में एक वर्ण के ५ भंगों का, दो वर्ण के ४० भंगों का, तीन वर्ण के ८० भंगों का तथा चार वर्ण के ८० भंगों का विवेचन जानना चाहिए ।
जिस प्रकार नव प्रदेशी स्कंध में पाँच वर्ण के ३१ भंगों का विवेचन किया गया है । वैसे ही दस प्रदेशी स्कंध में पाँच वर्ण के ३१ भंगों का विवेचन करना चाहिए परन्तु यहाँ ३२ वां भंग ( अनेक देश काला, अनेक देश नीला, अनेक देश लाल, अनेक देश पीला, अनेक देश शुक्लवर्ण ) अधिक कहना चाहिए ।
इस प्रकार दस प्रदेशी स्कंध में ( असंयोगी ५ भंग, द्विक संयोगी ४० भंग, त्रिक संयोगी ८० भंग, चतु:संयोगी ८० भंग तथा पंचसंयोगी ३२ भंग = २३७ भंग ) सब मिलकर वर्ण के २३७ भंग होते हैं ।
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