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पुद्गल-कोश
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अंश लाल वर्ण होता है। इस प्रकार एक त्रिक संयोग के चार भग होते हैं । ( १ के ४ भंग )।
(२) इस प्रकार कदाचित् काला, नीला और पीला वर्ण के चार भंग । (३) काला, नीला और श्वेत वर्ण के चार भंग । (४) काला, लाल और पीला वर्ण के चार भंग । (५) काला, लाल और श्वेत वर्ण के चार भग। (६) काला, पीला और श्वेत वर्ण के चार भंग । (७) नीला, लाल और पीला वर्ण के चार भंग । (८) नीला, लाल और श्वेत वर्ण के चार भंग । (९) नीला, पीला और श्वेत वर्ण के चार भंग । (१०) और कदाचित् लाल, पीला, श्वेत वर्ण के चार भंग जानना चाहिए ।
इस प्रकार दस त्रिक संयोग होते हैं और एक-एक त्रिक संयोग के चार-चार भंग होते हैं। ये सब मिल कर ४० भंग होते हैं।
यदि चार प्रदेशी स्कंध में चार वर्ण हो तो-(१) कदाचित् काला, नीला, लाल और पीला वर्ण होता है, (२) कदाचित् काला, नीला, लाल और श्वेत वर्ण होता है, (३) कदाचित् काला, नीला, पीला और श्वेत वर्ण होता है, (४) कदाचित् काला, लाल, पीला और श्वेत वर्ण होता है, (५) कदाचित् नीला, लाल, पीला और श्वेत वर्ण होता है।
___ इस प्रकार चतुःसंयोग के पाँच भंग होते हैं- सब मिलकर वर्ण सम्बन्धी ९० [ ५ + ४० + ४० + ५ = ९० ] भंग होते हैं।
यदि चार प्रदेशी स्कंध में एक गंध हो तो कदाचित् दुर्गन्ध और कदाचित् सुगन्ध होती है।
यदि चार प्रदेशी स्कंध में दो गंध हो तो (१) कदाचित् एक अंश दुर्गन्ध तथा एक अंश सुगन्ध होती है, (२) कदाचित् एक अंश दुर्गन्ध तथा अनेक अंश सुगन्ध होती है, (३) कदाचित् अनेक अंश दुर्गन्ध तथा एक अंश सुगन्ध होती है और (४) कदाचित् अनेक अंश दुर्गन्ध तथा अनेक अंश सुगन्ध होती है ।
इस प्रकार गंध के असंयोगी २ भंग तथा द्विकसंयोगी ४ भंग कुल ६ भंग होते हैं। जिस प्रकार वर्ण के ९० भंग कहे गये हैं, उसी प्रकार रस के ९० भंग कहने चाहिए।
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