________________
३६२
पुद्गल-कोश है। उसमें जघन्य दो अणुओं का स्कन्ध है और उत्कृष्ट-उत्कृष्ट संख्यात परमाणुओं का स्कन्ध है। जघन्य परिमितासंख्यात् परमाणुओं से लेकर एक-एक अणु बढतेबढते उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात परमाणुओं के स्कन्ध पर्यन्त असंख्याताणुवर्गणा है । यहाँ जघन्य परीतासंख्यात परमाणुओं का स्कंध है और उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात परमाणुओं का स्कंध है।
उसके अनन्तर उत्कृष्ट असंख्याताणुवर्गणा में एक परमाणु अधिक होने पर अनन्ताणुवर्गणा का जघन्य होता है। उसे सिद्ध राशि के अनंतवें भाग प्रमाण अनंत से गुणा करने पर अनंताणुवर्गणा का उत्कृष्ट होता है। उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर भी आहारवर्गणा का जघन्य होता है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग देने पर जो लब्ध आवे उसे जघन्य में मिलाने पर आहारवर्गणा में एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की अग्राहयवर्गणा जघन्य का होता है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से भाग देकर जो लब्ध आवे उसे उसी में मिला देने पर अग्राहयवर्गणा का उत्कृष्ट होता है ।
इसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की तेजसशरीरवर्गणा का जघन्य होता है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से भाग देने से जो लब्ध आवे उसे उसी में मिला देने पर तैजस शरीरवर्गणा का उत्कृष्ट होता है। उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की अग्रायवर्गणा का जघन्य होता है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से गुणा करने पर उसका उत्कृष्ट होता है। उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की भाषावर्गणा का जघन्य है। उनमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से भाग देने पर जो लब्ध आवे उसे उसी में मिलाने पर उसका उत्कृष्ट होता है।
उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की अग्रायवर्गणा का जघन्य है। उसमें अनंतगुणा उसका उत्कृष्ट होता है। उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की मनोवर्गणा का जघन्य होता है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से भाग देने पर जो लब्ध होता है उसे उसी में मिला देने पर उसका उत्कृष्ट होता है।
उसमें एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की अग्राहयवर्गणा का जघन्य है। उससे अनन्त गुणा उसका उत्कृष्ट है।
उससे एक परमाणु अधिक होने पर उससे ऊपर की कार्मणवर्गणा का जघन्य है। उसमें सिद्ध राशि के अनंतवें भाग से भाग देने पर जो लब्ध हो उसे उसी में मिला देने पर उसका उत्कृष्ट होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org