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पुद्गल - कोश
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प्रदेश नहीं होते । जिसमें द्वितीयादि प्रदेश नहीं है वह अप्रदेश परमाणु है । उसमें अन्य पुद्गलों के साथ मिलने की शक्ति संभव है, इससे सिद्ध होता है कि परमाणु पुद्गल रूप है । परमाणुओं का पुद्गल रूप से उत्पाद और विनाश नहीं होता है अत: उनमें भी द्रव्यपना सिद्ध है ।
अजघन्य स्निग्ध और रूक्ष गुणवाले दो परमाणुओं के समुदाय समागम से द्विप्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा है । द्रव्यार्थिकनय का अवलम्बन करने पर दो परमाणुओं का कथंचित् सर्वात्मना समागम होता है ।
एकप्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा एक प्रकार की होती है । द्विप्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा, तीन प्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा से उत्कृष्ट संख्यात प्रदेशी द्रव्यवर्गणा तक यह सब संख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणा I
प्रथम परमाणुवर्गणा, दूसरी संख्यातवर्गणा तीसरी असंख्यातवर्गणा और चौथी अनंतवर्गणा - ये चार प्रकार की वर्गणाएं अग्राह्य है । इसका यह आशय है कि जीव द्वारा इनका ग्रहण नहीं होता है ।
सब वर्गणाएं परमाणु पुद्गलों से ही उत्पन्न हुई है । अतः सब वर्गणाओं की परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा यह संज्ञा है | तथा उस वर्गणा के एकादिप्रदेश यह विशेषण है अत: एक प्रदेशी और परमाणु पुद्गल इन दोनों पदों का ग्रहण करना चाहिए ।
द्विप्रदेशी आदि उपरि वर्गणाओं के भेद से ही एक प्रदेशी वर्गणा होती है क्योंकि सूक्ष्म की स्थूल के भेद से ही उत्पत्ति देखी जाती है | संघात से और भेद-संघात से एक प्रदेशी परमाणु पुद्गल द्रव्यवर्गणा नहीं होती है, क्योंकि इससे नीचे अन्य वर्गणाओं का अभाव है ।
स्कंध पुद्गलों का विभाग होना भेद है; परमाणु पुद्गलों का समुदाय समागम होना संघात है । भेद को प्राप्त होकर पुनः समागम होना भेद-संघात है ।
द्विप्रदेशी परमाणु पुद्गल वर्गणा आदि ऊपर के द्रव्यों के भेद से और नीचे के द्रव्यों के संघात से तथा स्वस्थान में भेद - संघात से होती है । चूंकि दो एक प्रदेशी परमाणु पुद्गलों के समुदाय समागम से द्विप्रदेशी वर्गणा होती है । त्रिप्रदेशी वर्गणा में एक परमाणु पुद्गल के विरोधी गुण के उत्पन्न होने से भेद को प्राप्त होने पर द्विप्रदेशी द्रव्यवर्गणा उत्पन्न होती है ।
विशेष विवेचन – एक - एक परमाणु को अणुवर्गणा कहते हैं । द्वघणुक से लेकर एक-एक परमाणु बढते बढते उत्कृष्ट संख्यात परमाणुओं के स्कन्ध पर्यन्त संख्याताणुवर्गणा
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