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पुद्गल - कोश
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परमाणुवर्गणा में जघन्य - उत्कृष्ट भेद नहीं है क्योंकि परमाणु निर्विकल्प भेद रहित है । शेष बाइस वर्गणाओं के जघन्य - उत्कृष्ट भेद है । उनमें से ग्राह्यवर्गणा, आहारवर्गणा, तैजसशरीरवर्गणा, भाषावगंणा, मनोवगंणा, कार्मणवर्गणा तथा महास्कंधवर्गणा है इनके उत्कृष्ट अपने-अपने जघन्य से विशेषाधिक है शेष सोलह वर्गणा के गुणित है ।
एक श्रेणि के रूप में तेइस वर्गणा का कथन है ।
नोट - पुद्गल द्रव्य में परमाणु और द्वयणुक आदि संख्यात, असंख्यात और अनंत परमाणुओं के स्कंधचलित होते हैं। अंतिम महास्कंध में प्रदेश चल-अचल है । ' - २ वर्गणा
वग्गणरासीपमाणं सिद्धाणंति य पमाण मेत्तंपि । दुगसहियपरमभेदपमाणवहाराणसंवग्गो ॥
अर्थात् कार्मणवर्गणा राशि का प्रमाण सिद्धराशि के अनंतवें भाग है ।
गमन करते हुए दो परमाणुओं के परस्पर में अतिक्रमण करने में जितना काल लगता है उतना ही समय का प्रमाण है ।
व्यवहार, विकल्प, भेद तथा पर्याय ये सब एक अर्थ वाले हैं । द्रव्य प्रमाण से सब जीव अनंत है । इनसे पुद्गल परमाणु अनंत गुणे हैं | 3
पदार्थेषु
• ३ मूर्तिमत्सु
संसारिण्यपि पुद्गलाः । नोकर्म्म जातिभेदेषु
वर्गणा ॥
— गोजी० गा ५९५ । टीका में उद्धृत
अर्थात् पुद्गल शब्द मूर्तिमान् पदार्थों का और संसारी जीवों का वाचक है और वर्गणा शब्द अकर्मजाति के, कर्मजाति के और नोकर्मजाति के पुद्गलों को कहता है । ·४ वर्गणा
- गोजी० गा ३९२
अकर्म कर्म
इह समस्तलोकाकाशप्रदेषु ये केचन एकाकिनः परमाणवो विद्यन्ते तत्समुदायः सजातीयत्वाद् एका वर्गणाः, एवं द्विप्रदेशिकानामनन्तानामपि
१. गोजी० गा ५९३
२. गोजी ० गा ५७३ गोजी ०
३.
० गा ५८८
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