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पुद्गल - कोश
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भाव परमाणु भी परमाणु पुद्गल है ; वह चार तरह का कहा गया है - वर्णबाला, गंधवाला, रसवाला और स्पर्शवाला है ।
द्रव्य के सबसे छोटे रूप को परमाणु कहा जाता है ।
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वर्णादि धर्म की विवक्षा सिवाय — एक है । क्योंकि यहां द्रव्य की ही विवक्षा है |
परमाणु को द्रव्य परमाणु कहा जाता
पुद्गल का एक सर्वं जघन्य रूप परमाणु है उसे द्रव्य परमाणु कहते हैं । आकाश का प्रदेश क्षेत्र का परमाणु है । समय — काल का परमाणु है ।
वर्णादि धर्म के प्राधानता की विवक्षा से पुद्गल परमाणु को भाव परमाणु कहा जाता है ।
द्रव्य परमाणु विवक्षा से चतुःस्वभाववाला होता है । शस्त्रादि के द्वारा लतादि का छेदन होता है उसका निषेध करने के लिए परमाणु पुद्गल को अच्छेद्य कहा है अर्थात् - ( १ ) शस्त्रादि के द्वारा परमाणु पुद्गल का छेदन नहीं होता है अतः परमाणु पुद्गल अच्छेद्य है ; (२) सूचि आदि के द्वारा अभेद्य है ; (३) सूक्ष्म होने के कारण परमाणु पुद्गल - अग्नि आदि के द्वारा अदाहय है तथा (४) हस्तादि के द्वारा परमाणु पुद्गल को ग्रहण नहीं किया जा सकता है अतः परमाणु पुद्गल अग्राहय है । परमाणु पुद्गल के समसंख्यावाले दो विभाग नहीं होते हैं अतः परमाणु पुद्गल अनर्घ है । विषम संख्यावाले अवयव नहीं होते हैं अतः परमाणु पुद्गल अमध्य है । निरवयव है अत: परमाणु पुद्गल अप्रदेशी है तथा परमाणु पुद्गल का विभाग न होने के कारण अविभागी है ।
·४४ परमाणु पुद्गल और चार धातु
( क ) x x x धादूचदुक्कस्स कारणं जो दु ।
- पंच० गा ७८
अमृत टीका ततः पृथिव्यप्तेजोवायुरूपस्य धादुचतुष्कस्येक एव परमाणुः कारणं ।
(ख) धाउचउक्कस्स पुणो, जं हेऊ कारणंति तं णेयो ।
खंधाणं अवसाणं, णावव्यो
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कज्जपरमाणू ॥
- नियम ० अधि० २ । गा २५
जो चार धातु का कारण है वह कारण परमाणु कहलाता है तथा स्कंधों का अन्तिम भाग कार्य परमाणु है ।
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