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पुद्गल-कोश •२ विवक्षित क्षेत्र की अपेक्षा
विवक्षित क्षेत्र में स्थित रहने की अपेक्षा परमाणु पुद्गल की स्थिति सादि-सांत होती है। ३ स्वरूप की अपेक्षा
(परमाणुः ) कालतस्तु जघन्यनस्तस्य स्थितिरेकः समयः, मध्यमतस्तु द्वयादयः समया, उत्कृष्टस्त्वसंख्येया उत्सपिण्यवसपिण्य ।
-विशेभा• गा १३९६ । टीका
परमाणु पुद्गल की जघन्य स्थिति एक समय की और उत्कृष्ट स्थिति असंख्यातकाल की होती है। क्योंकि परमाणु पुदगल में असंख्यातकाल के पश्चात् स्वरूप से अर्थात परमाणु रूप में स्थित रहने का अभाव होता है। .४ सकंपत्व की अपेक्षा .५ निष्कपत्व की अपेक्षा
सकंप परमाणु पुद्गल की जघन्य स्थिति एक समय की और उत्कृष्ट आवलिका के असंख्यात भाग तक की होती है।
निष्कंप परमाणु पुद्गल की जघन्य स्थिति एक समय की और उत्कृष्ट असंख्यातकाल तक की होती है।
नोट-सकंप परमाणु पुद्गल की स्थिति उत्कृष्ट आवलिका के असंख्येय भाग तक ही होती है; निष्कंप परमाणु पुद्गल की तरह असंख्यातकाल तक की नहीं होती है क्योंकि पुद्गलों का चलन आकस्मिक होता है अतः निष्कंप परमाणु पुद्गल की तरह सकंप परमाणु पुद्गल असंख्येयकाल सकंप नहीं रह सकता हैं ।
सकंप परमाणु पुद्गल (बहुवचन ) की स्थिति सदाकाल होती है ।
इसी प्रकार निष्कंप परमाणु पुद्गल (बहुवचन ) की स्थिति सदाकाल होती है।
नोट-परमाणु पुद्गल (बहुवचन ) कुछ सकंप तथा कुछ निष्कंप रहते हैं अतएव ऐसा कहा जाता है कि परमाणु पुद्गल सदा सकंप-सदा निष्कंप रहते हैं । कोई भी समय ऐसा नहीं होता है कि जब सब परमाणु पुद्गल सकंप हो अथवा सब परमाणु पुद्गल निष्कंप हो-अतः सदाकाल कुछ परमाणु पुद्गल सकंप रहते हैं, कुछ परमाणु पुद्गल निष्कंप रहते हैं।
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