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पुद्गल-कोश परमाणू। दव्वपरमाणू णं भंते ! कइविहे पन्नत्तं ? गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-१ अच्छेज्जे, २ अभेज्जे, ३ अडझे, ४ अगेज्झे। खेत्तपरमाणू णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा ! चउविहे पन्नत्त, तंजहा१ अणद्ध', २ अमझे, ३ अपदेसे, ४ अविभाइमे। कालपरमाणू-पुच्छा। गोयमा! चउन्विहे पन्नत्ते, तंजहा-अवण्ण, अगंधे, अरसे, अफासे। भावपरमाणू णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ? गोयमा! चउविहे पन्नत्ते, तंजहावण्णभंते, गंधभंते, रसभंते, फासभंते ।
- भग० श २० । उ ५ । सू १२ से १६ । पृ० ८.१ टोका-तत्र द्रव्यरूपः परमाणुद्रव्यपरमाणुरेकोऽणुर्वर्णाऽऽदिभावानामविवक्षणाद् द्रव्यत्वस्यैव च विवक्षणादिति। एवं क्षेत्रपरमाणुराकाशप्रदेशः कालपरमाणुः समयः, भावपरमाणुः परमाणुरेव, वर्णाऽऽदिभावानां प्राधान्यविवक्षणात् सर्वजघन्यकालत्वाऽऽदिर्वा ( चउविहे त्ति ) एकोऽपि द्रव्यपरमाणुविवक्षया चतुःस्वभावः। ( अच्छेज्ज त्ति ) छेद्यः शस्त्राऽदिना लताऽऽदिवत, तनिषेधादच्छेद्यः। ( अभेज्ज त्ति ) भेद्यः सूच्चादिना चर्मवत्तन्निषेधादभेद्यः। ( अडझे ति ) अवाहयोऽग्निना सूक्ष्मत्वात्, अत एवाग्राहयो हस्ताऽदिना। ( अणद्धत्ति ) समसंख्याऽयवाभावात् ( अमझे त्ति) विषम संख्याऽवयवाभावात् ( अपएसे सि ) निरंशोऽवयवाभावात् । ( अविभाइमे त्ति ) अविभागेन निर्वत्तो अविभागीयः एकरूप इत्यर्थः । विभाजयितुमशक्योवेति ।
परमाणु चार प्रकार का कहा गया है-(१) द्रव्य परमाणु, (२) क्षेत्र परमाणु, (३) काल परमाणु और (४) भाव परमाणु ।
द्रव्य परमाणु-परमाणु पुद्गल है तथा वह अच्छेद्य है, अभेद्य है, अदाहय है और अग्राहय है।
क्षेत्र परमाणु आकाश का एक प्रदेश है वह अनघं है, अमध्य है, अप्रदेशी है और अविभागी है।
काल परमाणु एक समय है, वह अवर्णी है, अगंधी है, अरसी है तथा अस्पर्शी है।
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