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पुद्गल - कोश
१९३
अजघन्य - अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवणंवाले पुद्गल से प्रदेश रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है ।
अजघन्य अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल से अवगाहन रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो चतु स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो चतुःस्थान अधिक है ।
अजघन्य- अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य - अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल से स्थिति रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो चतुःस्थान न्यून है । यदि अधिक है तो चतुःस्थान अधिक है ।
अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य - अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल से कृष्णवर्ण पर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है । यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है ।
जिस प्रकार कृष्णवर्णपर्याय रूप से अजघन्य - अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य - अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे नील-रक्त-पीत - शुक्लवर्ण पर्याय रूप से अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अजघन्य अनुकृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
इसी प्रकार सुगन्ध - दुगन्ध पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
इसी प्रकार तिक्त-कटु-कषाय - आम्ल- मधुर रस पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है |
इसी प्रकार कर्कश -मृदु-गुरु- लघु-शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
अतः अजघन्य-अनुत्कृष्ट वर्णवाले पुद्गलों में अनंत पर्याय होते हैं ।
जिस प्रकार कृष्णवर्णवाले पुद्गलों का वर्णन किया है वैसे ही अन्य वर्णों का. ( नील-रक्त-पीत- शुक्लवर्ण ) सुगन्ध - दुर्गन्ध का ; तिक्त-कटु- कषाय- आम्ल-मधुर-रसों का तथा कर्कश-मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्शो का वर्णन करना चाहिए ।
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