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पुद्गल - कोश
२६९
पुद्गल के छः भेद हैं- यथा सूक्ष्म-सूक्ष्म, सूक्ष्म, सूक्ष्मबादर, बादरसूक्ष्म, बादर और बादरबादर ।
1) ते होंति छप्पयारा तेलोक्कं जेहि णिप्पण्णं ॥ ७६ ॥
टीका - तथैव च बादर सूक्ष्मत्वपरिणाम विकल्पैः षट्प्रकारतामापद्य त्रैलोक्यरूपेण निष्पद्य स्थितवंत इति । तथाहि —बादरबादराः, बादराः, बादरसूक्ष्माः सूक्ष्मबादरा, सूक्ष्मा, सूक्ष्मसूक्ष्माः इति । तत्र छिन्नाः स्वयं संधाना समर्थाः काष्ठ पाषाणादयो बादरबादराः । छिन्नाः स्वयं संधानसमर्थाः क्षोरघृततैलतोयरसप्रतृतयो बादराः स्थूलोपलंभा अपि छेत्तु भेत्तु मादातुमशक्या छायाऽऽतपत मोज्योत्स्रादयो बादरसूक्ष्माः । सूक्ष्मत्वेऽपि स्थूलोपलंभाः स्पर्शरसगंधवर्णशब्दाः सूक्ष्मबादराः सूक्ष्मत्वेऽपि हि करणानु पलभ्याः कर्म वर्गणादयः सूक्ष्माः । अत्यंतसूक्ष्माः कर्म वर्गणाभ्योऽधो द्वयणुक स्कन्धपर्यन्ताः सूक्ष्मसूक्ष्मा इति ।
पुद्गल द्रव्य छः प्रकार का होता है -यथा३ – बादर सूक्ष्म, ४ – सूक्ष्म बादर, ५– सूक्ष्म तथा ६
नोट- पुद्गल के सूक्ष्म, बादर दो भेद की होते हैं । विश्लेषण कर ६ भेद कहे गये हैं ।
— पंचश्वे ० | श्लो ७६
१
- बादर- बादर, २ - बादर, सूक्ष्म-सूक्ष्म ।
यहाँ इन दो भेदों का
१ बादर - बादर - जिस पुद्गल स्कन्ध का छेदन - भेदन न हो सके किन्तु अन्यत्र प्रायशः सामान्य से हो सके उस पुद्गल स्कन्ध को बादर बादर कहते हैं । जैसे काष्ठ - पाषाण आदि बादर बादर है ।
२ - बादर - जिस पुद्गल स्कन्ध का छेदन-भेदन न हो सके किन्तु अन्यत्र प्रायश: हो सके उस पुद्गल स्कन्ध (तरक LIQUIDS) को बादर कहते हैं - जैसे क्षीर, घृत, तैल, रस आदि बादर है ।
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३ - बादर - सूक्ष्म — जिस पुद्गल स्कन्ध का छेदन-भेदन, अन्यत्र प्रायशः कुछ भी न हो सके, ऐसे नेत्र से दृश्यमान पुद्गल स्कन्ध को बादर - सूक्ष्म कहते हैं- जैसे, छाया आतप, तप, ज्योत आदि बादर-सूक्ष्म है ।
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