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परमाणु पुद्गल के चरम, भंग - विकल्प बनते हैं ।
पुद्गल-कोश
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अचरम तथा अवक्तव्य की अपेक्षा छबीस (२६)
यथा— चरम, अचरम और अवक्तव्य – ये तीन पद हैं; उनमें एक-एक के संयोग से एकवचन के तीन मंग बनते हैं - ( १ ) चरम, (२) अचरम तथा (३) अवक्तव्य ।
बहुवचन के तीन भंग बनते हैं - ( ४ ) चरम (५) अचरम और (६) अवक्तव्य | इसी प्रकार एक संयोगी के कुल छः भंग बनते हैं ।
चरम, अचरम और अवक्तव्य पद के तीन द्विकसंयोगी होते हैं - यथा— चरम और अचरम पद का प्रथम, चरम और अवक्तव्य पद का द्वितीय तथा अचरम और अवक्तव्य पद का तृतीय और उनमें एक-एक द्विकसंयोग के चार-चार भंग होते हैं ।
प्रथम पद द्विक्संयोगी के इस प्रकार भंग बनते हैं । यथा-
(७) एकवचन चरम और एकवचन अचरम । (८) एकवचन चरम और बहुवचन अचरम | (९) बहुवचन चरम और एकवचन अचरम | (१०) बहुवचन चरम और बहुवचन अचरम |
इसी प्रकार द्वितीयपद - चरम और अवक्तव्य पद द्विकसंयोगी के चार भंग बनते हैं - यथा
(११) एकवचन चरम और एकवचन अवक्तव्य | (१२) एकवचन चरम और बहुवचन अवक्तव्य । (१३) बहुवचन चरम और एकवचन अवक्तव्य । (१४) बहुवचन चरम और बहुवचन अवक्तव्य ।
इसी प्रकार तृतीय पद - - अचरम - अवक्तव्य पद द्विकसंयोगी के चार भंग बनते हैं
-यथा-
(१५) एकवचन अचरम और एकवचन अवक्तव्य । (१६) एकवचन अचरम और बहुवचन अवक्तव्य । (१७) बहुवचन अचरम और एकवचन अवक्तव्य । (१८) बहुवचन अचरम और बहुवचन अवक्तव्य |
इस प्रकार द्विक्संयोगी के कुल बारह भंग बनते हैं ।
एकवचन और बहुवचन की अपेक्षा तीन संयोगी आठ भंग बनते हैं - यथा(१९) एकवचन चरम, एकवचन अचरम और एकवचन अवक्तव्य |
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