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पुद्गल-कोश
३४३ (३) कालादेश से ( काल की अपेक्षा) परमाणु पुद्गल कदाचित् चरम है, कदाचित् अचरम है। जिस प्रातःकाल आदि समय में कोई एक केवलज्ञानी समुद्घात को प्राप्त हुए थे, उस काल में जो परमाणु स्थित था-वह परमाणु वैसे समुद्घातित काल को प्राप्त नहीं कर सकता है अतः वैसे समुद्घातित काल की अपेक्षा वह परमाणु पुद्गल चरम है । ऐसा टीकाकार का उदाहरण है।
विशेषण रहित काल की अपेक्षा परमाणु पुद्गल अचरम है। परमाणु पुद्गल परमाणुत्व भाव को छोड़कर स्कंध के साथ मिल जाता है फिर उत्कृष्टतः असंख्यात काल के पश्चात् स्कंध से पृथग् होकर परमाणु भाव को प्राप्त होता ही है अतः निविशेषण काल की अपेक्षा परमाणु पुद्गल अचरम है ।
(४) भाव की अपेक्षा परमाणु पुद्गल कदाचित् चरम है, कदाचित् अचरम है। कोई एक केवलज्ञानी समुद्घात को प्राप्त हुए थे उस समय परमाणु पुद्गल जिन वर्णादि भाव विशेष को प्राप्त हुआ था-वह परमाणु पुद्गल वैसे समुद्घातित वर्णादि भाव को प्राप्त नहीं कर सकता है अतः वैसे समुद्घातित भाव की अपेक्षा वह परमाणु पुद्गल चरम है । ऐसा टीकाकार का कथन है। ___सामान्यत: परमाणु पुद्गल वर्णादि भावों में ( षट् गुण हानि-वृद्धि ) परिणमन करता रहता है अतः निविशेषण भाव की अपेक्षा परमाणु पुद्गल अचरम है ।
(ख) परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि चरिमे १, अचरिमे २, अवत्तव्वए ३, ? चरिमाइ४, अचरिमाइ ५, अवत्तन्वयाई ६, ? उदाहु चरिमे य अचरिमे य ७, उदाहु चरिमे य अचरिमाइच ८, उदाहु चरिमाईच अचरिमे य ९, उदाहु चरिमाइौंच अचरिमाइच १०, ? पढमा चउभंगी, उदाहु चरिमे य अवत्तव्वए य ११, उदाहु चरिमे य अवत्तवयाइच १२, उदाहु चरिमाइच अवत्तव्वए य १३, उदाहु चरिमाईच अवत्तव्वयाई च १४,? बीया चउभंगी, उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वए य १५, उदाहु अचरिमे य अवत्तव्वयाईच १६, उदाहु अचरिमाइच अवत्तवए य १७, उदाहु अचरिमाइच अवत्तव्वयाईच १८,? तइया चउभंगी, उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य १९, उदाहु चरिमे य अचरिमे य अवत्तन्वयाइच २०, उदाहु चरिये य अचरिमाईच अवत्तव्वए य २१, उदाहु चरिये य अचरिमाइच अवत्तन्वयाइच २२, उदाहु चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्यए य २३, उदाहु चरिमाईच अचरिमे य अवत्तव्वयाई
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