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(१) द्रव्यार्थ से तुल्य । (२) प्रदेशार्थ से तुल्य । (३) अवगाहनार्थ से तुल्य ।
पुद्गल - कोश
(४) स्थिति अपेक्षा से तुल्य ।
(५) वर्ण-गंध-रस - स्पर्श अपेक्षा से षट्स्थान हीनाधिक वा तुल्य ।
उत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल में भी वर्ण-गंध-रस-स्पर्श गुणों के पर्याय अनंत होते हैं अत: उत्कृट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल में भी इन अपेक्षाओं से अनंत पर्याय होते है । ऐसा निरूपण किया गया है ।
उत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल उत्कृष्ट स्थितिवाले परमाणु पुद्गल से द्रव्यरूप से तुल्य होते हैं ।
उत्कृष्ट स्थितिवाले परमाणु पुद्गल उत्कृष्ट स्थितिवाले परमाणु पुद्गल से प्रदेशरूप से भी तुल्य, अवगाहना रूप से भी तुल्य तथा स्थिति रूप से भी तुल्य होते 1
उत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल उत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल से वर्णपर्याय रूप से, गंधपर्याय रूप से, रसपर्याय रूप से तथा स्पर्शपर्याय रूप से (शीतस्निग्ध अथवा शीतरूक्ष अथवा उष्णस्निग्ध अथवा उष्णरूक्षपर्याय रूप से) षट्स्थान न्यूनाधिक अथवा तुल्य होते हैं ।
अजघन्य - अनुत्कृष्ट स्थिति ( मध्यम स्थिति ) वाले परमाणु पुद्गल में अनंतपर्याय होते हैं ।
अजघन्य - अनुत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल की अन्यान्य अजघन्य - अनुत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल से तुलना -
(१) द्रव्यार्थ से तुल्य ।
(२) प्रदेशार्थ से तुल्य ।
(३) अवगाहनार्थ से तुल्य ।
(४) स्थिति अपेक्षा - चतुःस्थान होनाधिक अथवा तुल्य है ।
(५) वर्ण-गंध-रस-स्पर्श अपेक्षा से षट्स्थान हीनाधिक वा तुल्य ।
अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल में भी वर्ण-गंध-रस- स्पर्श गुणों के पर्याय अनंत होते हैं अतः अजघन्य - अनुत्कृष्ट स्थिति वाले परमाणु पुद्गल में भी इन अपेक्षाओं से अनंतपर्याय होते हैं—ऐसा निरूपण किया गया है ।
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