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पुद्गल-कोश
३२७ तुल्य है, अवगाहन रूप से तुल्य है, स्थिति रूप से चतु:स्थान न्यूनाधिक है अवथा तुल्य है।
अजधन्य-अनुत्कृष्ट अर्थात् जघन्य-उत्कृष्ट के मध्यम गुण काले वर्णवाले परमाणु पुद्गल काले वर्ण की अपेक्षा पारस्परिक तुलना में एक दूसरे की अपेक्षा षट्स्थान हीनाधिक अथवा तुल्य होते हैं ।
अजघन्य-अमुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुदगल से सुगन्ध पर्याय रूप से षटस्थान न्यूनाधिक है। अथवा तुल्य है। इसी प्रकार दुर्गन्ध पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
इसी प्रकार अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गल अजघन्यअनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गल से तिक्त रस पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
इसी प्रकार कटु-कषाय-आम्ल-मधुररस पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
इसी प्रकार अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गल अजघन्यअनुत्कृष्ट गुण कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गल से शीत स्पर्श पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
इसी प्रकार उष्ण, स्निग्ध तथा रूक्ष पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
जिस प्रकार कृष्णवर्णवाले परमाणु पुद्गलों का वर्णन किया है वैसे ही अन्य वर्गों का (नील-रक्त-पीत-शुक्ल वर्ण) सुगन्ध-दुर्गन्ध का, तिक्त-कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रसों का वर्णन करना चाहिए लेकिन सुरभिगन्धवाले परमाणु पुद्गल की पृच्छा में दुरभिगंधवाला न कहना चाहिए, दुरभिगंधवाले परमाणु पुद्गल को पृच्छा से सुरभिगंधवाला न कहना चाहिए। तिक्तरसवाला परमाणु पुद्गल की पृच्छा में अवशेष के रस ( कटुक-कषाय-आम्ल-मधुर ) न कहना चाहिए। इसी प्रकार कटकादि रसवाले परमाणु पुद्गल के विषय में समझना चाहिए।
जघन्य गुण शीत स्पर्शवाले परमाणु पुद्गल में अनंत पर्याय होते हैं ।
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