________________
पुद्गल-कोश
३३१
अजघन्य-अनुत्कृष्ट गुण शीतस्पर्श परमाणु पुद्गल में भी वर्ण-गंध-रस गुणों के पर्याय अनंत होते हैं तथा स्निग्ध- रूक्ष स्पर्श गुणों के पर्याय भी अनंत होते हैं अतः अजघन्य - अनुत्कृष्ट शीतस्पर्श वाले परमाणु पुद्गल में भी इन अपेक्षाओं से अनंत पर्याय होते हैं ।
अजघन्य - अनुत्कृष्ट ( मध्यम ) गुण शीतस्पर्श वाले परमाणु पुद्गल अजघन्यअनुत्कृष्ट गुण शीतस्पर्श वाले परमाणु पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है, प्रदेश रूप से भी तुल्य है, अवगाहन रूप से भी तुल्य है, स्थिति रूप से चतुःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वर्णरूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है; गंधरूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है; रसरूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है; शीतस्पर्श पर्याय रूप से भी षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है; ( उष्णस्पर्श नहीं होता है ) । स्निग्ध तथा रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है |
उष्ण
जिस प्रकार शीतस्पशं वाले परमाणु पुद्गल के विषय में कहा गया है वैसे ही उष्ण, स्निग्ध तथा रूक्ष स्पर्श वाले परमाणु पुद्गल के विषय में जानना चाहिए परन्तु सर्व परमाणुओं की पृच्छा में प्रतिपक्ष स्पर्श का कथन नहीं करना चाहिए । स्पर्श वाले परमाणु पुद्गल में शीतस्पर्श नहीं होता है; शीतस्पर्शं वाले परमाणु पुद्गल में उष्णस्पर्श नहीं होता है । स्निग्धस्पर्श वाले परमाणु पुद्गल में रूक्ष स्पर्श नहीं होता है; रूक्षस्पर्श वाले परमाणु पुद्गल में स्निग्धस्पर्श नहीं होता है ।
३२.१२ भाव
से किं तं सादिपारिणामिए ? सादिपारिणामिए अणेगविहे पन्नत्ते, तंजहा - xxx । परमाणुपोग्गले, दुपदेसिए जाव अणतपएसिए ।
- अणुओ० सू २४९ । पृ० १११२-३ परमाणु पुद्गल में ( स्थिति की अपेक्षा ) सादि पारिणामिक भाव होता हैं ।
परमाणु पुद्गल की स्थिति असंख्यात काल से अधिक नहीं होती है अतः परमाणु पुद्गल में सादि पारिणभिक भाव कहा गया है ।
• ३३ परमाणु पुद्गल की वर्गणा
• १ औधिक विवेचन
(क) एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा एवं जाव एगा अणतपएसियाणं खंधाणं वग्गणा ।
- ठाण० स्था १ । सू ५१ । पृ० १८५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org