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पुद्गल-कोश
एवं द्विगुण रूक्ष होने चाहिए ! यदि इनमें एक और भी कमी हो तो उनका संबंध नहीं हो सकता ।
यह विसदृश (विजातीय ) परमाणुओं के एकीभाव की प्रक्रिया है ।
सदृश परमाणुओं का एकीभाव दो गुण अधिक या उससे अधिक गुणवाले परमाणुओं के साथ होता है ।
स्निग्ध परमाणुओं का स्निग्ध परमाणुओं के साथ एवं रूक्ष परमाणुओं का रूक्ष परमाणुओं के साथ संबंध तब होता है, जब उनमें ( स्निग्ध या रूक्ष परमाणुओं में ) दो गुण या उनसे अधिक गुणों का अन्तर मिले। उदाहरणस्वरूप एक गुण स्निग्ध परमाणु तीन गुण स्निग्ध परमाणु के साथ संबंध होता है किन्तु समान गुणवाले एवं एक गुण अधिक वाले परमाणु के साथ संबंध नहीं होता है ।
देखिए यंत्र
परमाणुओं के अंश
• जघन्य + जघन्य
२ - जघन्य + एकाधिक
३ - जघन्य + द्वयधिक
४ - जघन्य + त्र्यादिअधिक
५ - जघन्येतर + समय जघन्येतर
६ – जघन्येतर + एकाधिकतर
७ – जघन्येतर + द्वयधिकतर
८ - जघन्येतर + त्र्यादि अधिकतर
सदृश
नहीं
नहीं
है
नहीं
नहीं
है
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है
(ख) निद्धस्स निद्वेण दुआहियेण, लुक्खस्स लुक्खेण दुआहियेण । निद्धस्स लुक्खेण उवेइ बंधो, जहन्नवज्जो विसमो समो वा ॥
- पण्ण० पद १३ । १४
विसदृश
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
• ३२४ बंधन तथा भेदन
• १ दो परमाणु पुद्गलों का बंधन तथा भेदन
दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति साहण्णित्ता किं भवइ ? गोयमा ! दुप्पएसिए खंधे भवइ, से भिज्जमाणे दुहा कज्जइ एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ ।
- भग० श १२ । उ ४ । सू १ । पृ० ६५४
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