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पुद्गल-कोश
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समवाय रूप में पुद्गल स्कन्ध है तथा भिन्न-भिन्न रूप में परमाणु है ।
नोट-इस को-परमाण पुदगल को प्रत्यक्ष से परमावधिज्ञानी तथा केवलज्ञानी ही जान सकते हैं। अन्य जीव कार्य लिंग की अपेक्षा अनुमान से जान सकते हैं।
३०.४९ परमाणु पुद्गल .३१ परमाणु पुद्गल के गुण ३१.१ द्रव्यत्व (क) परमाणु दव्व एगदव्वं तु।
-विशेभा• गा १३८५ । पूर्वार्ध टोका – तत्र द्रव्ये द्रव्यतः परमाणुमेकं द्रव्यम्।
(ख) एगे भंते ! पोग्गलत्थिकायपएसे कि दवं, दव्वदेसे, दवाई, दव्वदेसा ; उदाहु दव्वं च दव्वदेसे य, उदाहु दव्वं च दव्वदेसा य, उदाहु दव्वाई च दव्वदेसे य, उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? गोयमा ! सिय दव्वं, सिय दवदेसे, णो दवाइं, णो दव्वदेसा, णो दव्वं च दव्वदेसे य, जाव णो दवाइं च दव्वदेसा य ।
- भग० श ८ । उ १० । सू १७ । पृ० ५७१-२ टीका - पुद्गलास्तिकाय एकाणुकाऽऽदिषु पुद्गलराशेः प्रदेशो निरंशोऽश: पुद्गलास्तिकाय प्रदेशः परमाणुः द्रव्यं गुणपर्याययोगिद्रव्यदेशो द्रव्यावयवः । एवमेकत्व बहुत्वाभ्यां प्रत्येक विकल्पा श्चत्वारो द्विकसंयोगा अपि चत्वार एवेति प्रश्नाः। उत्तरं तु स्याद् द्रव्यं द्रव्यान्तरासंबंधे सति, स्याद् द्रव्यदेशो द्रव्यान्तरसंबंधे सति, शेष विकल्पानां तु प्रतिषेधः परमाणुरेकत्वेन बहुत्वस्य द्विकसंयोगस्यचाऽभावादिति ।
__एक, द्वय अणुक आदि पुद्गल राशि-पिंड-स्कंध के निरंश-अविभाज्य अंश को पुद्गलास्तिकाय का प्रदेश कहते हैं ।
परमाणु को द्रव्य कहते हैं क्योंकि वह गुणपर्याय युक्त होता है। लेकिन जब वह परमाणु किसी स्कंध का अंश होता है तब द्रव्य देश - द्रव्य का अवयव कहलाता
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