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पुद्गल-कोश
२७९ से गं भंते ! गंगाए महानइए पडिसोयं हन्वमागच्छेज्जा ? हंता! हव्वमागच्छेज्जा। से ण तत्थ विणिघायमावज्जेज्जा ? नो इण? सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। ___ से णं उदगावत्तं वा उदबिदु वा ओगाहेज्जा ? हता। ओगाहेज्जा। से णं तत्थ कुच्छेज्ज वा परियावज्जेज्ज वा? नो इण8 सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ।
सत्येण सुतिक्खेण वि छेत्तुं भेत्तुं व जं किर न सका। तं परमाणू सिद्धा वयंति आदी पमाणाणं ॥
__ -अणुओ० सू ३४२-३४३ । पृ० ११२५
-जंबु. वक्ष २ । सू १९ पृ० ५४३ संक्षिप्त (ख) सत्थे सुतिक्खेण वि छेत्तुच जं किर न सका। तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ।
-भग० श ६ । उ ७ । सू ६ । पृ० ५०३ टीका-यद्यपि च नैश्चयिकपरमाणोरपि इदमेव लक्षणम्, तथापीह प्रमाणाधिकाराद् व्यावहारिक परमाणुलक्षणमिदम् ।
(ग) अणुशब्देन व्यवहारेण पुद्गला उच्यन्ते, निश्चयेन तु वर्णादिगुणानां पूरणमलनयोगात्पुद्गला इति । वस्तुवृत्त्या पुनरणुशब्दः सूक्ष्मवाचकः ।
-बृद्रसं० गा २६ । टीका अनंत सूक्ष्म परमाणु पुद्गलों के समुदाय की समिति के समागम से एक व्यावहारिक परमाणु पुद्गल होता है ।
वास्तव में व्यावहारिक परमाणु पुद्गल स्कंध होता है लेकिन अत्यन्त सूक्ष्मता के कारण इसको व्यावहारिक परमाणु पुद्गल कहा जाता है और इसे केवली भगवान अन्य स्कंधों का आदि भूत प्रमाण कहते हैं । ___व्यावहारिक परमाणु पुद्गल तलवार की धार या क्षुर की धार पर रह सकता है। उस तलवार की धार या क्षुर की धार पर स्थित व्यावहारिक परमाणु पर शस्त्र का आक्रमण नहीं हो सकता है अतः तत्र स्थित व्यावहारिक परमाणु पुद्गल छिन्न-भिन्न नहीं हो सकता है ।
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