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३१७ अच्छेद्य - अभेद्यत्व
पुद्गल-कोश
१ सूक्ष्म परमाणु का अच्छेद्य - अभेद्यत्व
(क) परमाणुपोग्गले णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा ? हंता, ओगाहेज्जा | से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज्जा वा भिज्जेज्जा वा ? गोयमा ! नो इण े समट्ठ े, णो खलु तत्थ सत्थं कमइ, एवं जाव- असंखेज्जपएसओ x x x 1
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एवं अगणिकायस्स मज्भंमज्भेणं, तहिं णवरं 'झियाएज्ज' भाणियव्वं, एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्यंमज्झेणं, तहि 'उल्ले सिया' एवं गंगा महाण पडतोयं हव्वं आगच्छेज्जा, तहिं विणिहायं आवज्जेज्ज, उदगावत्तं वा उदगबंदु वा ओगाहेज्ज से णं तत्थ परियावज्जेज्ज ।
- भग० श ५ । उ ७ । सू ५, ६, ८ । पृ० ४८३
टीका - परमाणु' इत्यादि 'ओगाहेज्ज' त्ति अवगाहेत आश्रयेत, 'छिद्य ेत' द्विधाभावं यायात्, 'भिद्य ेत' विदारणभावमात्रं यायात् । नो खलु तत्थ सत्यं कमइ' त्ति परमाणुत्वात्, अन्यथा परमाणुत्वमेव न स्याद् इति x x x ' उल्ले सिय' त्ति आर्द्राो भवेत्, 'विणिहायं आवज्जेज्ज' त्ति प्रतिस्खलनम् आपद्य ेत, 'परियावज्जेज्ज' त्ति पर्यापद्य ेत विनश्येत् ।
परमाणु पुद्गल तलवार की या क्षुरधार ( उस्तरे की धार ) पर रह सकता है । उस तलवार की धार या क्षुर की धार पर स्थित परमाणु पर शस्त्र का आक्रमण नहीं हो सकता अतः तत्र स्थित परमाणु पुद्गल छिन्न-भिन्न नहीं होता है ।
इसी प्रकार परमाणु पुद्गल अग्निकाय के बीचो-बीच में प्रवेश कर वहाँ स्थित रह कर भी परमाणु पुद्गल दग्ध नहीं होता है ।
इसी प्रकार परमाणु पुष्कर संवर्तक नामक महामेघ के मध्य में प्रवेश कर सकता है परन्तु तत्र स्थित रह कर भी परमाणु पुद्गल आर्द्र भाव ( गीलापन ) को प्राप्त नहीं होता है ।
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इसी प्रकार गंगा महानदी के प्रतिश्रोत - प्रवाह में प्रवेश कर सकता है परन्तु तत्र स्थित रह कर भी परमाणु पुद्गल प्रतिस्खलित नहीं होता है ।
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