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पुद्गल - कोश
परमाणु पुद्गल — जीव के परिभोग में नहीं आता है ।
नोट - द्विप्रदेशी स्कंध यावत् संख्यात प्रदेशी स्कंध तथा असंख्यात प्रदेशी स्कंध भी जीव के परिभोग में नहीं आते हैं । व्यावहारिक परमाणु - जो अनंत प्रदेशी स्कंध से बना हुआ है वह भी जीव के परिभोग में नहीं आता ।
·३१३४ अनवकाश - सावकाश नहीं है
x x x णाणवकासो ण सावकासो x x x
२८५
- पंच ० गा० ८०
जयसेन टीका- 'णाणवगासो' नानवकाशः कित्वेकेन प्रदेशेन स्वकीयवर्णादिगुणानामवकाशदानात्सावकाशः ; 'ण सावगासो' न सावकाशः कित्येकेन प्रदेशेन द्वितीयादिप्रदेशाभावान्निरवकाशः ।
परमाणु पुद्गल अपने एक प्रदेश में भी स्वकीय वर्णादि गुणों को अवकाश देने में समर्थ है अत: परमाणु पुद्गल सावकाश हैं ।
परमाणु पुद्गल अपने एक प्रदेश में स्थान देने में समर्थ नहीं है क्योंकि उसका एक प्रदेश आदि-मध्य-अंतरहित- निर्विभागी है अतः दो आदि प्रदेशों को स्थान देने की उसमें समर्थता नहीं है अतः अवकाश दान देने में असमर्थ कहा जाता है । ३१.१५ अप्रदेशान्तत्व
xxx । जं तं तव्वदिरित्तवव्वाणंतं तं दुविहं, कम्माणंतं णोकम्मातमिदि । x x x 1 जं तं णोकम्माणंतं तं कडय- रुजगदीव समुद्रादि एयपदेसादि पोग्गलदव्वं वा । × × × ।
xxx एकप्रदेशे परमाणो तद्व्यतिरिक्तापरो द्वितीयः प्रदेशोऽन्तव्यपदेशभाक् नास्तीतिपरमाणुर प्रदेशानन्तः । तथा च कथमयं नोकर्मद्रव्यानन्ते द्रव्यागतानन्त संख्यापेक्षया अनंतव्यपदेशभाज्यन्तर्भवेत् x x x - षट्० खण्ड ० १ । भा २ । सू २ । टीका । पु३ । पृ० ८
तद्व्यतिरिक्त नो आगमद्रव्यानन्त दो प्रकार का है— कर्म तद्व्यतिरिक्त नो आगम द्रव्यानन्त और नोकर्म-तद्व्यतिरिक्त नोआगमद्रव्यानन्त । कटक, रुचकवरद्वीप और समुद्रादि अथवा एक प्रदेशादि पुद्गल द्रव्य - ये सब नोकर्मतद्व्यतिरिक्त नोआद्रव्यानंत है |
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