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पुद्गल-कोश
२१५ ४ भाव को अपेक्षा पुद्गल और संख्या
(क, एकगुणकालगायं भंते ! पोग्गला कि संखेज्जा, असंखेज्जा, अणंता? एवं चेव, (गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ? ) एवं जाव अणंतगुणकालगा, एवं अवसेसा वि वण्ण-गंध-रस-फासा णेयव्वा लाव 'अणंतगुणलुक्खत्ति।
-भग• श २५ । उ ४ । सू ४१ । पृ० ८६४ (ख) x x x एकगुणकालगा पोग्गला अनंता पन्नत्ता, एवं जाव एकगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नता। (सू ५८ ) ( दुगुणकालगा) एवं जाव दुगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता। (सू ११८)। (तिगुणकालगा) एवं जाव तिगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता) (सू २३४) चउगुणकालगा पोग्गला अनंता जाव चउगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता (सू ३८८) (पंचगुणकालगा) जाव पंचगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता। (सू ४७४ ) छःगुणकालगा पोग्गला जाव छगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पम्नत्ता (सू ५४० ) ( सत्तगुणकालगा) जाव सत्तगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता। (सू ५९३) ( अट्ठगुणकालगा) जाव अट्ठगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नता। (सू ६६०) (नवगुणकालगा) जाव नवगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता। (सू ७०३ ) दसगुणकालगापोग्गला अनंता पन्नत्ता, एवं वन्नेहि गंधेहि, रसेहि, फासेहि वसगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता।
-ठाण• स्था १ से १० एक गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल (परमाणु हो या स्कंध ) संख्यात तथा असंख्यात नहीं होते हैं ; अनंत होते हैं। इसी प्रकार दो गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल यावत् दस गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अनंत होते हैं ; यावत् संख्यातगुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अनंत होते हैं ; असंख्यातगुण कृष्णवर्णवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् अनंतगुण कृष्णवर्णवाले अनंत पुद्गल होते हैं । इसी प्रकार नील-रक्त-पीत-शुक्लवर्णवाले पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए ।
एक गुण सुगंधवाले पुद्गल (परमाणु हो ता स्कंध ) संख्यात तथा असंख्यात नहीं होते हैं ; अनंत होते हैं। इसी प्रकार दो गुण सुगंधवाले पुद्गल यावत् दस
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