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पुद्गल-कोश गुण सुगंधवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् संख्यात गुण सुगंधवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत असंख्यातगुण सुगंधवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् अनंतगुण सुगंधवाले पुद्गल अनंत होते हैं। इसी प्रकार दुर्गंधवाले पुगलों के विषय में भी समझना चाहिए।
एक गुण तिक्तरसवाले पुद्गल ( परमाणु हो या स्कंध ) संख्यात तथा असंख्यात नहीं होते हैं ; अनंत होते हैं। इसी प्रकार दो गुण तिक्तरसवाले पुद्गल यावत् दस गुण तिक्तरसवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् सख्यातगुण तिक्तर सवाले पुद्गल अनत होते हैं यावत् असंख्यातगुण तिक्तरसवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् अनंत गुण तिक्तरसवाले पुद्गल अनत होते हैं। इसी प्रकार कटु-कषाय-आम्ल और मधुर रस वाले पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए। ____एक गुण कर्कशस्पर्शवाले पुद्गल (परमाणु हो या स्कंध) संख्यात तथा असंख्यात नहीं होते हैं ; अनंत होते हैं। इसी प्रकार दो गुण ककंग स्पर्शवाले पुद्गल यावत् दस गुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् संख्यातगुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल अनंत होते हैं ; यावत् असंख्यातगुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल अनंत होते हैं यावत् अनंतगुण कर्कश स्पर्शवाले पुद्गल अनंत होते हैं। इसी प्रकार मृदु-गुरु-लघुशीत-उष्ण स्निग्ध और रूक्ष स्पर्शवाले पुद्गलों के विषय में भी समझना चाहिए । .५ पुद्गल और युग्म संख्या
(क) पोग्गलत्थिकाए गं भंते ! पुच्छा। (वन्वट्ठयाए कि कडजुम्मे, जाव-कलिओगे? गोयमा ! सिय कउजुम्मे, जाव सिय कलियोगे xxx।
धम्मत्थिकाए णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मे पुच्छा? गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। एवं जाव अद्धासमए।
-भग० श २५ । उ ४ । सू ७, ८ । पृ० ८६१ टोका-पुद्गलास्तिकायस्यानन्तभेदत्वेऽपि संघातभेदभाजनत्वाच्चातुविध्यमध्येयम् x x x। अत एवाह उक्ता द्रव्यार्थता। अथ प्रदेशार्थता तेषामेवोच्यते "धम्मथि" इत्यादि। सर्वाण्यपि द्रव्याणि कृतयुग्मानि प्रदेशार्थतयाऽवस्थिता संख्यातप्रदेशत्वाववस्थिताऽनन्तप्रदेशत्वाच्चेति ।
(ख) परमाणुपोग्गले णं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मे, तेओए, दावरजुम्मे, कलियोगे ? गोयमा ! नो कउजुम्मे, नो तेओए, नो दावरजुम्मे, कलियोगे। एवं जाव-अणंतपएसिए खंधे।
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