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पुद्गल-कोश
१६१ १२.०८ गति .१२.०८ ०१ अनुश्रेणि गति
परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि अणुसेढी गती पवत्तति, विसेढि गती पवतति १ गोयमा ! अणुसेढी गती पवत्तति, नो विसेढी गती पवत्तति । दुपएसिया णं भंते ! खंधाणं अणुसेढी गती पवत्तति, विसेढी गती पवत्तति ? एवं चेव ; एवं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं ।
भग० श २५ । उ ३ । सू ५८-५९ परमाणु पुद्गल की गति अनुश्रेणी होती है परन्तु विश्रेणी नहीं होती है ।
इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कंध यावत् अनंतप्रदेशी स्कंध की गति भी अनुश्रेणी होती है ; विश्रेणी नहीं होती है। १२.०८ ०२ नोभवोपपात गति
(क) से कि तं उववायगइ ? उववायगइ तिविहा पन्नत्ता, तंजहाखेत्तोववायगइ १ भवोववायगइ २ नोभवोववायगइ ३ x x x। से कि तं नोभवोववायगइ ? नोभवोववायगइ दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पोग्गल नोभवोववायगइ य सिद्धनोभवोववायगइ य। से कि तं पोग्गलणोभवोववायगइ ? पोग्गलणोभवोववायगइ जण्णं परमाणुपोग्गले लोगस्स पुरस्थिमिल्लाओ चरिताओ पच्चिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ, पच्छिमिल्लाओ वा चरिमंताओ पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ, दाहिणिल्लाओ वा चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छद, एवं उत्तरिल्लाओ दाहिणिल्लं, उवरिल्लाओ हेटिलं, हेटिल्लाओ वा उवरिल्लं । से तं पोग्गलणोभघोववायगइ।
-पण्ण । प १६ । सू १०८५, १०९९, ११००, ११०१ टोका-xx x। नोभवः भवव्यतिरिक्तः कमसंपर्क:- सम्पाद्यन रयिकत्वादिपर्यायरहित इति भावः, स च पुद्गलः सिद्धो वा, उभयस्यापि यथोक्तलक्षणमवातीतत्वात्, उपपात एव गतिरुपपातगतिरिति ।
(ख) परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ पच्चच्छिमिल्ल चरिमंतं एगसमएणं गच्छइ, पच्चच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ
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