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पुद्गल-कोश
१८१ (ख) जघन्य-उत्कृष्ट-अजघन्यअनुत्कृष्ट समय स्थितिवाले पुद्गल और
पर्याय संख्या (ख) जहण्णढिईयाणं भंते ! पोग्गला णं पुच्छा ( केवइया पज्जवा पन्नत्ता ) गोयमा ! अणंता। से केण?णं ? गोयमा ! जहण्णठिईए पोग्गले जहण्णठिईयस्स पोग्गलस्स दबट्टयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए तुल्ले, वण्णादि-अट्ठफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए। एवं उक्कोसठिईए वि । अजहण्णमणुक्कोसठिईए एवं चेव । नवरं ठिईए वि चतुट्ठाणवडिए।
-पण्ण• प ५ । सू ५५६ । पृ० ३६९
जघन्य ( एक समय ) स्थितिवाले पुद्गलों में अनंतपर्याय होते हैं। जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य होते हैं।
जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से प्रदेश रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है । यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है।
जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से अवगाहन रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो चतु:स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो चतु:स्थान अधिक है।
जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से स्थिति रूप से तुल्य है।
जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थिति पुद्गल से कृष्णवर्णपर्याय रूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो षट्स्थान न्यून है। यदि अधिक है तो षट्स्थान अधिक है।
जिस प्रकार कृष्ण वर्ण पर्याय रूप से जघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थितिवाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही नील-रक्त-पीत-शुक्ल वर्ण पर्याय रूप से ; सुर्गन्ध, दुर्गन्ध पर्याय रूप से ; तिक्त-कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से ; कर्कश-मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप सेजघन्य स्थितिवाले पुद्गल जघन्य स्थिति वाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
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